विवाहित बेटी को भी है अनुकंपा नियुक्ति का अधिकार

कोलकाता। कलकत्ता हाई कोर्ट ने बुधवार एक ऐतिहासिक फैसला दिया है। कार्यरत राज्य सरकारी कर्मचारी की मृत्यु होने पर उसकी विवाहित बेटी को भी नौकरी मिलेगी। अभी तक कार्यरत अवस्था में किसी कर्मचारी की मृत्यु होने पर उसकी विवाहित बेटी को नौकरी का अधिकार नहीं था। सिर्फ अविवाहित लड़कियां हीं नौकरी का दावा कर सकती थीं। 2008 में पश्चिम बंगाल सरकार ने ऐसे मामले में विवाहित लड़कियों की नौकरी पर निषेधाज्ञा जारी करते हुए अधिसूचना जारी की थी। बुधवार को हाई कोर्ट की कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश निशिथा म्हात्रे, जस्टिस दीपंकर दत्ता व जस्टिस तपोब्रत चक्रवर्ती की विशेष पीठ ने इस अधिसूचना को असंवैधानिक करार दिया।

यूपी सरकार ने दी है चुनौती
इस तरह के फैसले कई अन्य राज्यों में भी हो चुके हैं, मप्र में तो सरकार ने दत्त पुत्रियों को भी अनुकंपा नियुक्ति का धिकारी माना है परंतु उत्तर प्रदेश सरकार ने इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। यूपी सरकार के वकील रवि पी. महरोत्रा ने सुप्रीम कोर्ट के कई फैसलों का हवाला देकर कहा कि अनुकंपा पर दी जाने वाली नौकरी मानवता के आधार पर दी जाती है। 

परिवार के मुखिया की मौत हो जाए तो उनके आश्रित वित्तीय संकट में आ जाते हैं और इसी कारण मानवता के आधार पर आश्रितों को नौकरी दी जाती है। इसके पीछे तर्क यह है कि मृतक पर जो सीधे तौर पर आश्रित हैं उन्हें वित्तीय संकट से बचाया जा सके। 1974 के नियम पांच के मुताबिक वैसे आश्रितों से मतलब है जो खुद की परवरिश नहीं कर सकते। ऐसे में शादीशुदा लड़की किसी भी तरह से आश्रित नहीं है।

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