मोदी मंत्रिमंडल: ऐसा क्या गुनाह हुआ कि हट गए

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंत्रिमंडल के विस्तार की प्रक्रिया शुरू हो गई है। कुर्सियां खाली करा ली गईं हैं। उम्मीद है संडे को नए नामों की घोषणा भी हो जाएगी। बताया जा रहा है कि ये फेरबदल पिछले 3 साल का सबसे बड़ा कैबिनेट फेरबदल होगा। जिन मंत्रियों को हटाया गया, वो सब चुप हैं लेकिन कयास लगाए जा रहे हैं कि आखिर क्या खता हुई इन मंत्रियों से कि इनकी कुर्सियां छीन ली गईं। इनके अलावा कलराज मिश्र को रिटायर कर दिया गया है जबकि महेन्द्र पांडे को उत्तरप्रदेश का प्रदेशाध्यक्ष बनाया गया है। रेलमंत्री सुरेश प्रभु का इस्तीफा अब भी विचाराधीन है। संभव है उनका मंत्रालय बदल जाए। 

उमा भारती: कहा था समाधि ले लूंगी, फिर भी कुछ नहीं किया
2014 में जब पीएम वाराणसी चुनाव लड़ने पहुंचे थे, तो उन्होंने कहा था कि उन्हें मां गंगा ने बुलाया है। सरकार बनने के बाद उन्होंने इसके लिए नया मंत्रालय भी बनाया, उमा भारती मंत्री बनी तो उन्होंने कहा कि वह गंगा को साफ करके ही मानेंगी। वरना जल समाधि ले लेंगी लेकिन पिछले 3 साल में गंगा सफाई को लेकर कोई बड़ा असर नहीं दिखा है, कोर्ट और NGT ने भी लगातार सरकार को इस मामले में फटकार लगाई है। उमा भारती ने हर बार कहा है कि 2018 तक गंगा सफाई के पहले चरण का काम पूरा हो जाएगा। ऐसे में जून 2017 के बाद गंगा साफ दिखने भी लगेगी। 2018 से दूसरे चरण का काम शुरू होना है, यह काम 2020 तक पूरा होगा।

काम पर ध्यान ही नहीं दिया
नमामि गंगे प्रोजेक्ट की शुरुआत से ही इसके बजट और खर्च की राशि में काफी अंतर रहा है। 2014-15 में 2137 करोड़ रुपये का बजट मंजूर किया गया और राशि आवंटित की गई 2053 करोड़ रुपये लेकिन खर्च सिर्फ 326 करोड़ रुपये ही हुए। 2015-16 में 1650 करोड़ रुपये की राशि मंजूर की गई और खर्च होने से 18 करोड़ रुपये बच गए। इस साल 2500 करोड़ रुपये मंजूर किए गए हैं। लेकिन खर्च का हिसाब अब तक नहीं मिल पाया है।

राजीव प्रताप रूडी: रिजल्ट नहीं दे पाए, मोदी बदनाम हुए 
बिहार के युवा नेता राजीव प्रताप रूडी को पीएम मोदी ने सबसे अहम जिम्मेदारी दी थी। बीजेपी का वादा था कि वह हर साल 2 करोड़ रोजगार देगी, इसके लिए पहली बार स्किल डेवलेपमेंट मंत्रालय भी बनाया गया लेकिन बाद में पीएम मोदी कहते गए कि हमारा लक्ष्य रोजगार देने पर नहीं बल्कि रोजगार बनाने वाले युवाओं को बनाने पर है। इसके तहत स्किल डेवलेपमेंट यूनिवर्सिटी, स्किल डेवलेपमेंट सेंटर का प्लान था, जिस पर काम तो हुआ लेकिन जमीनी स्तर पर उसका कोई रिजल्ट नहीं दिख पाया।

राधामोहन सिंह: किसानों के लिए कुछ नया नहीं किया
राधामोहन सिंह के पास जो मंत्रालय रहा उन किसानों की बात पीएम मोदी लगभग अपने हर भाषण में करते हैं। बीजेपी का वादा था कि 2022 तक किसानों की आय को दोगुना किया जाएगा लेकिन सॉयल हेल्थ कार्ड के अलावा किसानों के लिए कोई ऐसा काम नहीं किया गया जो कि जमीन पर दिखे। बल्कि पिछले 3 साल में लगातार किसानों की खुदकुशी की संख्या बढ़ी है। हाल ही में महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ में लगातार ये संख्या बढ़ी है।

संजीव बालियान: यूपी से आते हैं फिर भी गंगा का ध्यान नहीं दिया
वेस्ट यूपी से आने वाले जाट नेता संजीव बालियान कृषि बैकग्राउंड से आते हैं। यही कारण रहा कि पहले उन्हें कृषि राज्य मंत्री बनाया गया था, क्योंकि उस इलाके में भी काफी किसान रहते हैं लेकिन बाद में उनका विभाग बदला गया और जल संसाधन राज्य मंत्री बनाया गया। गौरतलब है कि गंगा का काफी बड़ा हिस्सा यूपी से होकर जाता है। यानी संजीव बालियान से किसानों के उद्धार से लेकर गंगा की सफाई तक की काफी उम्मीदें थी, लेकिन शायद वो इन पर खरे नहीं उतर सके। इसलिए विदाई हो रही है।

फग्गन सिंह कुलस्ते 
कुलस्ते को आदिवासी नेता होने के नाते स्वास्थ्य राज्यमंत्री बनाया गया था परंतु वो अपने प्रभाव क्षेत्र में भी आदिवासियों को एकजुट नहीं कर पाए। कुलस्ते विवादों के बचने के लिए निष्क्रीय बने रहे। स्वास्थ्य विभाग में उन्होंने ऐसा कुछ नहीं किया ​जो उल्लेखनीय हो। इसलिए उन्हे कैबिनेट के कामकाज से मुक्त कर दिया गया है। खबर है कि अब वे कैबिनेट के बजाय संगठन के कामकाज को संभालेंगे।

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