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बता दें कि मप्र की महिला मंत्री कुसुम मेहदेले ने रेल और सड़कों को लेकर काफी तीखे ट्वीट किए थे। यह पहला वाक्या नहीं है जब प्रदेश की भाजपा सरकार के ही मंत्री ने अपनी ही सरकार के खिलाफ इस प्रकार का बयान जारी किया हो। इससे पहले भी भाजपा सरकार के ही पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर, पूर्व वन मंत्री सरताज सिंह और भोपाल हुजूर के विधायक रामेश्वर शर्मा सरकार को आइना दिखाने का काम कर चुके हैं। इतना ही नहीं कई बार विधानसभा में भी प्रमुख विपक्षी दल की भूमिका निभाते हुए भाजपा के विधायक ही सामने आते हैं।
इस तरह के मामलों में नंदकुमार सिंह चौहान अक्सर आक्रमक रुख अपनाते हैं और प्रतिक्रिया में कुछ ऐसा बयान जारी करते हैं कि पार्टी या सरकार को कटघरे में खड़ा करने वाला भी सन्न रह जाता है परंतु पता नहीं ऐसी क्या मजबूरी है कि कुसुम मेहदेले के मामले पर वो चर्चा भी नहीं करना चाहते। बता दें कि इससे पहले मंत्री कुसुम मेहदेले पर एक बच्चे को लात मारने का आरोप लगा था। उस समय भी हालात यह थे कि सीएम शिवराज सिंह उन्हे जवाब देने के लिए तलब भी नहीं कर पाए थे। उल्टा कुसुम मेहदेले ने ही सीएम के संदर्भ में एक तीखा बयान दे दिया था।