नई दिल्ली। मोदी सरकार के मंत्रिमंडल का फेरबदल हो गया है। निर्मला सीतारमण को रक्षा मंत्रालय जैसा महत्वपूर्ण काम सौंपा गया है। उनकी नियुक्ति ही अपने आप में इतिहास है। वो भारत की पहली पूर्णकालिक महिला रक्षामंत्री हैं। एक रेल कर्मचारी की बेटी का भारत की रक्षामंत्री बन जाता अपने आप में बड़ी बात है। निर्मला सीतारमन की जिंदगी किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है। इससे पहले प्रधानमंत्री रहते हुए इंदिरा गांधी ने दो बार रक्षा मंत्रालय अपने पास रखा था। पहली बार 01/12/1975 से 21/12/1975 और फिर 14/01/1980 से 15/01/1982 तक इंदिरा रक्षामंत्री रही थीं। फिलहाल अरुण जेटली के पास रक्षा मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार था। मनोहर पर्रिकर के इस्तीफे के बाद जेटली को यह जिम्मेदारी दी गई थी।
एक सामान्य परिवार से निकली निर्मला सीतारमन के लिए रक्षा मंत्री बनना एक बहुत बड़ी उपलब्धि है। 18 अगस्त 1959 को जन्मीं सीतारमन के पिता रेलवे में काम करते थे। उनकी मां एक सामान्य गृहिणी थी। सीतारमन की शुरुआती पढ़ाई अपनी मौसी के यहां हुई।
JNU में पढ़ाई फिर लवमैरिज
सीतारमन ने 1980 में जेएनयू में दाखिला लिया था और वहां से पीएचडी की। यहीं उनकी मुलाकात परकला प्रभारक से हुई थी, जिनसे बाद में उन्होंने शादी की। शादी के बाद दोनों कुछ समय के लिए लंदन चले गए। पति वहां लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से पीएचडी कर रहे थे, जबकि सीतारमन ने खाली हाथ बैठने के बजाए कुछ काम करने का फैसला किया। उन्होंने लंदन की ऑक्सफॉर्ड स्ट्रीट में हैबिटेट होम डेकोर पर सेल्स गर्ल की नौकरी की। यह निर्मला की पहली नौकरी थी। इसके बाद सीतारमन और उनके पति अप्रैल 1991 आंध्रप्रदेश लौट आए।
राजीव हत्याकांड के बाद फंस गईं थीं
जब सीतारमन प्रेग्नेंट थीं और उन्हें डिलीवरी के चेन्नई के अस्पताल में भर्ती कराया गया, तभी राजीव गांधी की हत्या कर दी गई और पूरे प्रदेश का माहौल बिगड़ गया। तीन दिन तक निर्मला बिना डॉक्टर के अस्पताल में फंसी रहीं। बाद में एंबुलेंस पर सफेद झंडा लगाकर उन्हें वहां से निकाला गया और सुरक्षित स्थान पर देखभाल की गई।
2014 में सुषमा के साथ हुआ था पंगा
सीतारमन 2006 में भाजपा में शामिल हुई थीं। फरवरी 2014 में वे एक अजीब कारण से चर्चा में रहीं। तब तेलंगाना का मुद्दा चरम पर था। निर्मला ने सीमांध्रा पर सुषमा स्वराज के रुख को लेकर एक ट्वीट किया। इस पर भड़कीं सुषमा ने जवाबी ट्वीट में लिख दिया- निर्मला सीतारमन जैसे प्रवक्ता हों तो दुश्मनों की जरूरत नहीं। हालांकि तुरंत ही ये ट्वीट डिलीट कर दिए गए, लेकिन विरोधियों को तो मौका मिल ही गया था।