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इसी तरह मथुरा से हबीबगंज आ रहे विनय माहेश्वरी कहते हैं कि मैं कोच नंबर सी-12 में अपनी सीट पर आया तो इतनी गंदी थी कि बैठने का मन ही नहीं हुआ। ये तो ठीक रहा कि बाजू वाली सीट खाली थी तो वहां बैठ गया। कोच मेंटेनेंस का मतलब सिर्फ पानी का पौंछा मार देना नहीं है।
एक बाइट भी नहीं ले पाए, पराठे में आ रही थी बदबू
ग्वालियर में एक प्राइवेट स्कूल की प्रिंसीपल नीलम चौहान का कहना है कि खाना इतना खराब था कि मैं एक बाइट भी नहीं खा सकी। अजीब सा टेस्ट था। उनके साथ बैठीं एक अन्य शिक्षक नुपूर सिंह की ने भी खाना पूरा नहीं खाया। उनका कहना था कि मेन्यू ठीक है लेकिन क्वालिटी मेंटेन नहीं की जा रही।
विनय ने बताया कि उन्हें जो पराठा दिया गया उसमें से स्मेल आ रही थी। ललितपुर के स्पर्श जैन ने कहा कि दाल अलग और पानी अलग ठीक से मिक्स नहीं था। जैसे ही पराठा उठाया तो दो भाग में बंट गया।
मुरैना में आजाद अध्यापक संघ के अध्यक्ष बीएस तोमर कहते हैं कि एक लीटर पानी जो दिया जाता है वह तो खाने से पहले ही खत्म हो जाता है। नियमानुसार रेलवे को खाने के साथ 250 एमएल पानी तो देना ही चाहिए।
DCP पर ज्यादातर जानकारी मिटी हुई
ट्रेन के कई कोच में रखे फायर एक्सटिंग्युशर पर तारीख नजर नहीं आती। ये वॉश बेसन के पास रखे गए हैं। 5 किलोग्राम वाले डीसीपी पर ज्यादातर जानकारी मिटी हुई मिलीं। नगरीय प्रशासन विभाग भोपाल में कार्यरत सौरभ द्विवेदी ने कहा कि दो दिन पहले टिकट बनवाया तो 1600 रुपए लगे जबकि तत्काल में भी इतना ही पैसा लगता है। यानी तत्काल के बराबर चार्ज हुआ। जबकि चेयर कार में कई सीटें खाली थीं।
18 लाख से ज्यादा का जुर्माना, मेंटेनेंस पर भी ध्यान
कैटरिंग ड्राइव में 1107 यूनिट का इंस्पेक्शन किया गया। इनमें बेस किचन और ट्रेन में सप्लाई के दौरान भी भोजन चैक किया गया। 116 अनधिकृत वेंडरों पर कार्रवाई की गई। 18.81 लाख रुपए का जुर्माना भी किया गया है। ऐसे ही मई 2017 में विंडो रोलर, डोर लौवर, मैगजीन बैग, सीट टेपेस्ट्री समेत बहुत काम किए गए जिसकी लंबी फेहरिस्त है।
नीरज शर्मा चीफ पीआरओ नार्दन रेलवे