शेल कम्पनी: कर्ता-धर्ता मजे में, कम्पनी बंद होने के बाद भी

Bhopal Samachar
राकेश दुबे@प्रतिदिन। केंद्र सरकार ने एक झटके में दो लाख से ज्यादा शेल कंपनियों का रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया। काले धन के खिलाफ एक बेहद जरूरी कदम था लेकिन इन कम्पनियों के कर्ता-धर्ता मजे में हैं, उन्हें इस की आंच तक नहीं लगी। यह कहना भी गलत नहीं है कि अभी सरकार का जोर शेल कंपनियों को बंद करने और दिखावे के तौर पर इसके प्रबंधन से जुड़े लोगों पर नकेल कसने तक ही सीमित है। इस बाबत जारी सरकारी निर्देशों में कहा गया है कि जिन कंपनियों का रजिस्ट्रेशन रद्द हो चुका है, उनके निदेशक या अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता कंपनी के बैंक खातों से पैसा निकालने की कोशिश करेंगे, तो उन्हें 10 साल तक की जेल हो सकती है। 

सामने गडबड झाला कुछ यूँ है कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय ने जिन 2 लाख 9 हजार से ज्यादा कंपनियों का रजिस्ट्रेशन रद्द किया है, उन्होंने लंबे समय से कोई कारोबारी गतिविधि नहीं की थी। शेल कंपनियां सिर्फ कागज पर होती थी, वे कोई आधिकारिक कारोबार नहीं करतीं। इनका इस्तेमाल मनी लॉन्ड्रिंग के लिए किया जाता था। सामान्य कंपनियों की तरह इनमें भी डायरेक्टर्स होते हैं। मामूली पगार वाले लोग दस-दस कंपनियों के बोर्ड में शामिल होते थे, लेकिन इनके मालिक का नाम गुप्त रखा जाता था। इन्ही शेल कंपनियों द्वारा निर्यात का फर्जी बिल बनाकर विदेशों से भारत में पैसे लाए जाते थे। ऐसी कंपनियां बनाने वालों में कई राजनेता और बड़े कारोबारी भी शामिल नजर आये। कालेधन के खिलाफ अभियान तब ही पूरा होगा, जब तक इन चोर दरवाजों को पूरी तरह बंद न कर दिया जायेगा। अजीब बात यह है कि हमारे देश में ज्यादातर कारोबारी शत-प्रतिशत पारदर्शिता नहीं बरतते। प्राय: सभी कंपनियां दो तरह के खाते रखती हैं। एक अपने लिए, एक दिखाने के लिए। 

चार्टर्ड एकाउंटेंट जैसे सम्मानित पेशे के लोग अपने हुनर का इस्तेमाल कारोबारियों को इस तरह के चोर दरवाजे सुझाने में करते हैं। शेल कंपनियों का मुद्दा पहले भी उठा है लेकिन इस मामले में कार्रवाइयां अंजाम तक नहीं पहुंच पाई हैं। आयकर विभाग और प्रवर्तन निदेशालय पहले भी इनके खिलाफ सक्रिय हुए, लेकिन उनके हाथ शेल कंपनियों के वास्तविक संचालकों तक पहुंचने से पहले ही रुक गए। वैसे शेल कंपनियों की परिभाषा को लेकर भी विवाद है। सरकार को इस मामले में भ्रम दूर करना चाहिए। वरना होगा वही, जो अब तक होता आया है। छोटे –छोटे  व्यापारी फसेंगे, और बडे मौज मारते रहेंगे।
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
संपर्क  9425022703        
rakeshdubeyrsa@gmail.com
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