टीकमगढ़। बीजेपी सांसद वीरेंद्र खटीक का दिल्ली से बुलावा आ गया है। माना जा रहा है कि दलित कोटे में उन्हे मंत्री बनाया जाएगा क्योंकि वे लगातार 6वीं बार सांसद चुने गए हैं और वह टीकमगढ़ से दिल्ली रवाना भी हो चुके हैं। वीरेंद्र खटीक लगातार 6 बार सांसद बनने वाले पहले नेता हैं, वीरेंद्र बुंदेलखंड के सागर से चार बार लोकसभा चुनाव जीते। फिर टीकमगढ़ सुरक्षित सीट होने के चलते लगातार 2 बार यहां से सांसद बने। इन्होंने श्रम एवं बाल कल्याण पर पीएचडी भी की है और इनकी छवि एक ईमानदार सांसद की है। जनता की समस्याएं चौपाल लगाकर सुनते हैं। इसलिए इन्हें चौपाल वाले सांसद भी कहा जाता है।
10 साल तक पंचर बना किया परिवार का भरण-पोषण
10 साल तक पंचर बनाने और साइकिल रिपेयर कर अपना जीवनयापन करने वाले भाजपा सांसद वीरेन्द्र खटीक आज मध्यप्रदेश के टीकमगढ़ जिले से सांसद हैं। वीरेन्द्र खटीक छठवीं बार लोकसभा चुनाव जीतकर संसद पहुंचे और सादे जीवन के लिए जाने जाते हैं। आज भी अपने पुराने स्कूटर पर सवार होकर जनता के सुख-दु:ख में हिस्सा लेने वाले सांसद वीरेन्द्र खटीक अपने सरल और सहज स्वभाव के लिए काफी चर्चित हैं। जनता की समस्याओं के लिए जनता की चौपाल लगाने सांसद वीरेन्द्र खटीक का प्रयोग काफी लोकप्रिय हुआ था। आज मध्यप्रदेश सरकार अपने दफ्तरों में इसी तरह की जनसुनवाई हर हफ्ते करती है।
पंचर ठीक से न बनने पर कई बार खानी पड़ी पिता की डांट
वीरेन्द्र खटीक ने बताया कि उनका बचपन संघर्ष के दौर से गुजरा है। उन्होंने अपने जीवन यापन के लिए सागर शहर के गौरमूर्ति पर एक साइकल रिपेयरिंग की दुकान खोली थी। साइकिल की दुकान के जरिए पूरे परिवार का भरण-पोषण होता था। सभी भाई-बहन की पढ़ाई का खर्चा भी साइकिल की दुकान की कमाई से चलता था। वीरेन्द्र खटीक जब पांचवीं कक्षा में पढ़ते थे तब उन्होंने पिताजी की साइकिल की दुकान पर बैठना शुरू कर दिया था। शुरुआत में तो वीरेन्द्र अपने पिता की कामकाज में मदद करते थे लेकिन धीरे-धीरे उन्होंने अपने पिता से साइकल रिपेयरिंग का सारा कामकाज सीख लिया। फिर उन्होंने खुद ही दुकान की जिम्मेदारी संभाल ली।
विश्वविद्यालय की पढाई के दौरान भी बनाए पंचर
वीरेन्द्र खटीकने पांचवी से लेकर सागर विश्वविद्यालय में पढ़ाई के दौरान भी उन्होंने साइकिल रिपेयरिंग का काम किया। वीरेन्द्र बताते है कि दुकान पर शुरुआत में वो लापरवाही से काम करते थे। कई बार दुकान में पंचर सुधारने के दौरान पिता की डांट का सामना भी करना पड़ता था। वीरेन्द्र बताते हैं कि पंचर सुधारने के काम को में ध्यान से नहीं करता था तो पिताजी मुझे अच्छी तरह से पंचर बनाना सिखाते थे। धीरे-धीरे पंचर बनाने से लेकर रिपेयरिंग के सारे काम उन्हें आने लगे तो फिर उन्होंने दुकान की जिम्मेदारी संभाल ली।
पुराना स्कूटर है सांसद वीरेन्द्र खटीक की पहचान
सांसद वीरेन्द्र खटीक जब भी आज किसी किशोर या नवयुक को पंचर बनाते या साइकिल सुधारते हुए देखते हैं तो उसको पंचर और साइकिल रिपेयरिंग के टिप्स देते हैं। सांसद होते हुए भी वीरेन्द्र सड़क पर बैठकर साइकिल रिपेयरिंग का काम सिखाने लगते हैं। सांसद वीरेन्द्र खटीक की एक और पहचान है। वह है उनका सालों पुराना स्कूटर। वीरेन्द्र खटीक जब सागर सांसद थे तो अपने पुराने स्कूटर से घूमा करते थे। उनकी यही सादगी उनकी पहचान बन गयी है। वीरेन्द्र सागर सांसद रहे हो या फिर मौजूदा टीकमगढ सांसद उनका स्कूटर उनके साथ रहता है। ज्यादातर स्थानीय कार्यक्रमों में वो स्कूटर से ही पहुंचते हैं न कि लग्जरी गाड़ियों में।