
पेशे से इंजिनियर बेनजीर का कहना है कि इस तरह से पार्टी से निकालना मेरी बेइज्जती करना है। इस पूरे प्रकरण से नाराज बेनजीर ने कहा कि इस मुद्दे पर मैं पार्टी हाईकमान से शिकायत करूंगी। उन्होंने रोहिंग्या मुसलमानों के समर्थन में एक मीटिंग में हिस्सा लिया था जिसके चलते उन्हें पार्टी से बाहर कर दिया गया। बेनजीर ने 2016 में असम के जैनिया सीट से विधानसभा चुनाव लड़ा था लेकिन वह हार गईं।
पार्टी से निकाले जाने से आहत बेनजीर ने कहा कि मुझे अपनी सफाई देने के लिए भी मौका नहीं दिया गया। उन्होंने टाइम्स ऑफ इंडिया से कहा, 'मैं तीन तलाक की पीड़ित हूं। पीएम के इस कैंपेन में हमेशा खड़ी रही लेकिन मेरी पार्टी ने मुझे सफाई का मौका दिए बिना ही तलाक दे दिया।'
मीडिया से बात करते हुए बेनजीर अरफां ने कहा कि जो सस्पेंसन लेटर उन्हें मिला है उसमें लिखा गया है, 'किसी दूसरी संस्था द्वारा आयोजित कार्यक्रम जो रोहिंग्या मुसलमानों के समर्थन के लिए था उसमें आपने बिना पार्टी की मर्जी से हिस्सा लिया। ऐसा करना पार्टी के नियमों को तोड़ना है जिस कारण आपको तत्काल प्रभाव से पार्टी से बर्खास्त किया जाता है।'
बेनजीर का कहना है कि इस कार्यक्रम के बहाने मुझ पर निशाना साधा जा रहा है। बेनजीर का आरोप है कि कुछ स्थानीय बीजेपी नेताओं को उनकी कार्यशैली पसंद नहीं आ रही थी इसलिए उन्हें इस छोटे से मुद्दे को लेकर बलि का बकरा बनाया गया है।