राकेश दुबे@प्रतिदिन। हरियाणा की सरकार ने गुरुग्राम के रायन इंटर नेशनल स्कूल का प्रबन्धन अपने हाथों में ले लिया है, इस मामले की सीबी आई जाँच भी होगी। दूसरी ओर देश की सुप्रीम कोर्ट ने सभी प्राइवेट स्कूलों की सुरक्षा की जांच खुद करने का फैसला किया है। उसने गुड़गांव के रायन इंटरनैशनल स्कूल में एक बच्चे की हत्या के मामले में उसके पिता की अर्जी पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार, मानव संसाधन विकास मंत्रालय, हरियाणा सरकार, सीबीआई और सीबीएसई को नोटिस जारी करते हुए उनसे तीन हफ्ते के अंदर जवाब मांगा है। इन दिनों निजी स्कूलों में अपने बच्चों को पढ़ाने वाले देश भर के सारे अभिभावक अपने बच्चों की सुरक्षा को लेकर चिंतित है। मध्यप्रदेश की राजधानी में भी यही सबसे गर्म मुद्दा है और सरकार अचेत है। राष्ट्रीय अपराध ब्यूरो के आंकड़े इस मामले में मध्य प्रदेश की आँखें नीची कर देते हैं।
ऐसे हादसे लगातार सामने आ रहे हैं, जिससे यह बात साफ होती है कि स्कूल प्रबंधन का ध्यान सिर्फ मोटी फीस और डोनेशन वसूलने पर रहता है। हमारे देश में शिक्षा एक ऐसा धंधा बन गई है जो किसी के भी प्रति जवाबदेह नहीं है। निजी स्वामित्व वाले तमाम स्कूल अच्छी शिक्षा देने का अपना वादा कितना निभा पाते हैं, यह तो बाद की बात है, उन्हें बच्चों की जान तक की परवाह नहीं है। शिक्षकों और कर्मचारियों के हितों को लेकर वहां चर्चा की गुंजाइश तक नहीं है।
बच्चों की सुरक्षा को लेकर सीबीएसई द्वारा बाकायदा निर्देश जारी किए गए हैं। उसने स्कूल परिसर में सीसीटीवी लगाने और परिसर को चारदीवारी से घेरने के अलावा स्कूल में सुरक्षाकर्मियों की पर्याप्त तैनाती करने को भी कहा था। इसके अलावा बच्चों को सुविधायुक्त बसें उपलब्ध कराने, उनमें सीसीटीवी कैमरे लगाने, ड्राइवर और कंडक्टर का पुलिस वेरिफिकेशन कराने जैसी बातें पहले भी कही थीं, मगर इन सबको ताक पर रख दिया गया है। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में इस प्रकार की धींगामस्ती जारी है, कोई सुनने वाला भी नहीं है।
सरकार कोई ऐसी सक्षम संस्था नहीं बना सकी है जो इन निर्देशों के अनुपालन की मॉनिटरिंग कर सके। पालक भी आमतौर पर इन पर सवाल नहीं उठाते क्योंकि वे खुद ही डरे रहते हैं कि कहीं उनके बच्चे का भविष्य न प्रभावित हो जाए। जरूरी हो गया कि स्कूल इन मामलों में सारी सूचनाएं सार्वजनिक करें और अभिभावक इन्हें आसानी से समझ सकें। बच्चों की सुरक्षा को लेकर पालकों आश्वस्त किया जाना चाहिए। स्कूलों की जवाबदारी है स्कूल में सीसीटीवी कैमरे काम कर रहे हैं, कर्मचाारियों का वेरिफिकेशन हुआ है कि नहीं, शौचालयों की सुरक्षा व्यवस्था कैसी है, वगैरह-वगैरह। स्कूलों को भी अपने सभी कर्मचारियों का नाम, पता, ट्रैक रिकॉर्ड, संपर्क नंबर आदि ब्यौरे जाहिर करने चाहिए और पूछने पर यह भी बताना चाहिए कि उन्हें वेतन कितना मिलता है। मुफ्त में या बहुत मामूली वेतन पर काम करने वालों से भला कितने जवाबदेह होते हैं।
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।