पटना। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी से मोदी मंत्रिमंडल में एक भी व्यक्ति को नहीं लिया गया। यहां तक कि उनसे बात तक नहीं की गई। निश्चित रूप से यह नीतीश कुमार के लिए दर्दभरी दास्तां हैं परंतु अब वो नहीं चाहते कि यह बात आगे तक जाए। नीतीश कुमार ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि अब इस चैप्टर को बंद कर देना चाहिए। उन्होंने यह भी जोड़ा कि आपकी खबरों के कारण डार्लिंग को भी मौका मिल गया। यहां डार्लिंग से उनका तात्पर्य लालू प्रसाद यादव से था।
सोमवार को नीतीश कुमार ने मीडिया के सामने अपनी सफाई दी। उन्होंने कहा कि जदयू ने मोदी मंत्रिमंडल में शामिल होने को लेकर कोई बयान नहीं दिया लेकिन मीडिया में लगातार कयास लगाये जा रहे थे। अब मीडिया के कयास गलत साबित हो गए हैं और इस चैप्टर को अब बंद कर देना चाहिए। उन्होंने कहा कि कयास लगाने की जरूरत नहीं है। आप लोगों को सीधे मुझसे पूछ लेना चाहिए।
हालांकि जब कयास लगाए जा रहे थे तब नीतीश कुमार या जदयू ने इसका खंडन भी नहीं किया। शायद वो भी कयासों को सही मानकर इंतजार कर रहे थे। उन्हे भरोसा था कि ना केवल उन्हे मंत्रिमंडल में सम्मान मिलेगा बल्कि कोई महत्वपूर्ण मंत्रालय भी मिलेगा। रेल मंत्रालय पहले भी बिहार के खाते में दर्ज हो चुका है। शायद वो लालू से अच्छी रेल चलाना चाहते थे। अब जबकि उन्हे उनका सम्मान नहीं मिला, उनके पास चुप रहने के अलावा कोई दूसरा रास्ता भी नहीं है। वो चाहते हैं कि सारी दुनिया भी इस मामले में चुप हो जाए।
उन्होंने कहा कि आपकी खबरों पर डार्लिंग (लालू प्रसाद) को भी मौका मिल गया। इस मुद्दे को लेकर क्या क्या नहीं कहा गया है। मीडिया को खबर छापने और दिखाने के पहले हमसे जरूर पूछ लेना चाहिए. इस मामले को लेकर कोई सच्चाई नहीं है।
सीएम ने कहा कि हमलोगों को लालू के साथ सरकार चलाना मुश्किल हो गया था। इसलिए बीजेपी से ऑफर आने के बाद बिहार के हित में उनके साथ जाने का फैसला किया। एनडीए में साथ जाने का फैसला बिहार की जनता के हित में लिया गया है। हमलोगों की शुरू से ही करप्शन को लेकर जीरो टोलरेंस और न्याय के साथ विकास की नीति रही है।