
क्या था मामला
प्रदेश के स्कूलों में काम कर रहे 28 हजार सहायक शिक्षकों के जूनियर उनसे सीनियर हो गए हैं। ये सभी सहायक शिक्षक 1998 से पहले भर्ती हुए थे, जिन्हें पदोन्न्ति न मिलने से वे अब तक जहां के तहां हैं, जबकि इनके बाद में बने संविदा शिक्षक पदोन्न्त होकर अध्यापक बन गए हैं। सूत्रों के मुताबिक कई स्कूलों में सहायक शिक्षक से जूनियर होने के बावजूद ऐसे लोग प्रधानाचार्य बनने की स्थिति में आ गए। ज्यादातर सहायक शिक्षक आठ से 10 साल में रिटायर होने वाले हैं।
शिक्षकों को समयमान और सहायक शिक्षकों को प्रमोशन की मांग को लेकर पिछले कुछ समय से प्रदर्शन किए जा रहे थे। यह एक ऐसी प्रक्रिया थी जिसमें सरकारी खजाने पर 1 रुपए का अतिरिक्त भार नहीं आने वाला था। अंतत: पदनाम की लड़ाई पूरी हुई। उम्मीद की गई है कि जल्द ही आदेश जारी कर दिए जाएंगे।