नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई एक याचिका पर सुनवाई शुरू हो गई है। यह याचिका नैनीताल हाईकोर्ट के उस आदेश के खिलाफ है जिसमें कहा गया है कि चुनाव आयोग एक संवैधानिक संस्था है और कोई भी नेता या व्यक्ति किसी भी माध्यम से EVM की आलोचना नहीं कर सकता। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी है एवं सुनवाई शुरू हो गई है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के इतर सोशल मीडिया पर भी बहस शुरू हो गई है। सवाल यह है कि क्या चुनाव आयोग जैसी संवैधानिक संस्थाओं और उनकी नीतियों या कार्रवाईयों की आलोचना की जा सकती है या नहीं।
आदेश बोलने की आजादी के खिलाफ है
शुक्रवार को याचिकाकर्ता रमेश पांडेय की ओर से CJI दीपक मिश्रा की बेंच के सामने कहा गया कि हाईकोर्ट का यह आदेश कानून में ठहरने वाला नहीं है। यह फैसला बोलने की आजादी के अधिकार के खिलाफ है। दो जून 2017 को उत्तराखंड के नैनीताल हाइकोर्ट ने कहा था कि किसी को भी EVM की आलोचना करने का अधिकार नहीं है। हाईकोर्ट ने कहा था कि चुनाव आयोग एक संवैधानिक संस्था है, जिसके आदेशों पर कोर्ट हस्तक्षेप नहीं कर सकता। कोर्ट ने कहा था कि राजनीतिक दलों को किसी भी संवैधानिक संस्था की साख को धक्का पहुंचाने की इजाजत नहीं दी जा सकती।
नैनीताल हाईकोर्ट ने लगाई थी रोक
नैनीताल हाईकोर्ट ने राज्यों के राजनीतिक दलों, अन्य राजनीतिक दलों, एनजीओ या व्यक्तिगत रूप से ईवीएम के प्रयोग की आलोचना पर रोक लगा दी थी। कोर्ट ने कहा था कि कोई भी व्यक्ति इलेक्ट्रॉनिक माध्यम, प्रेस, रेडियो, फेसबुक, ट्विटर के जरिये ईवीएम की आलोचना नहीं कर सकता।