
दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति जयहिंद ने कहा कि संसद से तीन किलोमीटर की दूरी पर सिस्टम की मिली भगत से यह गोरखधंधा चलता है। वहां पांच हजार महिलाएं हैं और हर दिन हर महिला व बच्ची को 30-30 व्यक्तियों के साथ सोना पड़ता है। हमने ये जानने की कोशिश की कि जीबी रोड के कोठे को चलाता कौन है। यहीं जानने के लिए कोठों को नोटिस जारी किया है। इससे के कोठे के असली मालिकों तक पहुंच कर उनके खिलाफ कार्रवाई कर कोठे बंद करवाए जा सकेंगे।
नोटिस दीवारों पर चस्पा
इन कोठों की संचालिकाओं ने सम्मन लेने से इनकार किया। उन्हें मोबाइल हेल्पलाइन कॉर्डिनेटर किरण नेगी व प्रिंसी गोयल, लीगल कंसल्टेंट की अगुवाई में डीसीडब्ल्यू की टीम ने सम्मन कोठें की दीवारों पर चस्पा कर दिए हैं। इन्हें 21 से 25 सितंबर तक आयोग के सामने पेश होकर जवाब देने के निर्देश दिए गए हैं।
देश भर से अपहृत की गई लड़कियां बेची जातीं हैं
दरअसल, जीबी रोड मानव तस्करी का एक बड़ा अड्डा बना हुआ है। देश के दूर दराज और गरीब इलाकों से छोटी-छोटी बच्चियों की तस्करी करके उन्हें जीबी रोड पर मामूली पैसों के लिए बेच दिया जाता है। यहां किशोरियों का हर रोज 30 से अधिक लोग शोषण करते हैं। पुलिस और आयोग इन कोठों के मालिकों का पता लगाने का प्रयास करती है, ताकि इनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सके, लेकिन कोठों के असली मालिक नहीं पकड़े जाते हैं। कोठों से सिर्फ संचालिका व संचालक ही पकड़े जाते हैं।
असली मालिकों को आज तक पता नहीं
कोठे के असली मालिक कानून के शिकंजे से बच निकलते हैं। असली मालिक के पकड़े नहीं जाने से जीबी रोड पर कोठे का संचालन व बच्चियों को शोषण अब भी बदस्तूर जारी है। किशोरियों के साथ हो रहे शोषण पर नकेल कसने के लिए डीसीडब्ल्यू ने कोठे के असली मालिक का पता लगाने की मुहिम शुरू कर दी है। मुहित के तहत डीसीडब्ल्यू ने पुलिस, बिजली विभाग, डीजेबी और एसडीएम समेत संबंधित विभागों को नोटिस जारी कर काठे के असली मालिकों के डेटा की मांगा की थी।
सरकारी दस्तावेजों में भी गड़बड़ी
सभी विभागों ने डीसीडब्ल्यू को अपनी-अपनी लिस्ट सौंप दी है, लेकिन विभाग की लिस्ट में दिए कोठा मालिकों के नाम एक दूसरे से मेल नहीं खा रहे हैं। अब डीसीडब्ल्यू ने सभी कोठा मालिकों को आईडी प्रूफ लाने का निर्देश दिया है, जिससे कोठे के असली मालिक का पता लगाया जा सके।