
इस तरह की घड़ियों में एक मोबाइल सिम लगी होती है। इसमें पांच इमरजेन्सी नम्बर फीड होते हैं अगर बच्चा किसी मुश्किल में फंसता है तो इन पांचों नम्बरों पर एक साथ एसएमएस पंहुच जाता है और जिससे कोई न कोई बच्चे तक पंहुच जाता है। इसमें पेरेंट्स के अलावा पुलिस का नंबर भी फीड करने की सलाह दी जाती है। इसके अलावा आकस्मिक परिस्थितियों में बच्चा सिम में फीड किए हुए पांच से दस नम्बरों पर फोन भी कर सकता है और पेरेंटस भी इस नम्बर पर बच्चे से बात कर सकते हैं।
सॉफ्टवेयर और ट्रेडिंग एक्सपर्ट मनोज मिश्रा के अनुसार इस तरह की डिवाइसेस पहले भी उपलब्ध थीं लेकिन शहर में इनकी डिमांड नहीं थी किंतु हाल में पेरेंट्स बच्चों की सुरक्षा को लेकर परेशान हैं ऐसे में उनमें इन लेटेस्ट तरीकों के उपयोग हेतु जागरुकता बढ़ रही है। हालांकि इस डिवाइस की कीमत भी ज्यादा नहीं है लेकिन इसे कम आय वाले पैरेंट्स की पहुंच तक लाने के लिए इस तरह के प्रोजेक्ट्स पर काम चल रहा है जो कम खर्चे में बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित कर सके।
इस छोटी सी डिवाइस को बैग में, जेब में कहीं भी रखा जा सकता है। इसमें एक सिम लगी होती है जो सर्वर और सेटेलाइट से अटैच रहती है। इससे पेरेंट्स बच्चों की लोकेशन जान सकते हैं और बच्चों के मूवमेंट की हिस्ट्री भी देख सकते हैं। इसके द्वारा बच्चे का स्कूल से निकलने का समय, बस में बैठने का और वो इस दौरान कहां कहां गया है पता किया जा सकता है। ऐसे ही कुछ और ट्रेकर भी हैं जिन्हे बच्चों की पानी की बोतल में या जूतों के अंदर लगा सकते हैं और उनकी लोकेशन ट्रेक कर सकते हैं। इन लेटेस्ट ट्रेकिंग डिवाइसेस से निश्चित ही बच्चों की सुरक्षा को लेकर काफी सुकून मिल सकता है।