नई दिल्ली। केंद्र सरकार के उपभोक्ता मामलों के विभाग के साथ गठबंधन करके सिटीजन ग्रीवेंस पोर्टल ने कई ऑनलाइन सर्वे किए। इसमें से हर दो में से एक व्यक्ति ने शिकायत की है कि माल और सेवा कर (जीएसटी) के जुलाई में लागू होने के बाद घरेलू खर्च में वृद्धि हो गई है।जीएसटी लागू किए जाने के दो महीने के पूरा होने के मौके पर किए गए इस सर्वे में 40,000 से अधिक लोगों ने प्रतिक्रिया दी थी। नोटबंदी के बाद जीएसटी सरकार के लिए एक बड़ा सिरदर्द बन गया है। राज्य वित्त मंत्रियों ने हैदराबाद में जीएसटी परिषद की बैठक में कर सुधार के कार्यान्वयन से संबंधित कई मुद्दों को उठाया। इनमें से कुछ को काउंसिल की मीटिंद में ही हल कर दिया गया।
मगर, जीएसटी के कारण बढ़ती कीमतों सरकार को आने वाले समय में भारी पड़ सकती है क्योंकि साल 2019 के लोकसभा चुनाव में लोगों का गुस्सा फूट सकता है। कंज्यूमर इंगेजमेंट प्लेटफॉर्म लोकल सर्कल्स द्वारा किए गए सर्वेक्षण में करीब 54 प्रतिशत लोगों ने कहा कि जीएसटी आने के बाद उनके मासिक खर्च में 30 फीसद तक की वृद्धि हुई है।
सरकार की उम्मीद के उलट केवल छह फीसद यानी 9,000 से अधिक उत्तरदाताओं ने कहा कि उनके मासिक खर्च में कमी आई है। लोकल सर्कल्स में भाग लेने वाले करीब 51 प्रतिशत लोगों ने कहा कि जीएसटी के लागू होने के बाद उनके मासिक भोजन और किराने के बिल में 30 प्रतिशत तक की बढ़त हुई है। केवल सात प्रतिशत अपने मासिक भोजन और किराना बिल में कमी की सूचना देते हैं।