
एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था भारत की इस बार तिमाही विकास दर घटकर 5.7 फीसदी रह गई है। यह पिछले तीन साल में सबसे निचले स्तर पर है। बुधवार को वित्तमंत्री अरुण जेटली ने भी कहा था कि सरकार अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिए मजबूत कदम उठाने पर विचार कर रही है। इससे वित्तीय घाटे का लक्ष्य पाना मुश्किल होगा यानी वित्तीय घाटा 0.5 फीसदी बढ़ सकता है।
अधिकारियों का कहना है कि इससे इस वित्त वर्ष में वित्तीय घाटा बढ़कर जीडीपी का 3.7 फीसदी हो जाएगा। हालांकि बजट में वित्तीय घाटा 3.2 फीसदी रखने का लक्ष्य रखा गया है। मामले से जुड़े एक अधिकारी का कहना है कि नोटबंदी और जीएसटी लागू करने के सरकार के फैसले के चलते अर्थव्यवस्था नाजुक दौर से गुजर रही है।
इसको लेकर मोदी सरकार के निशाने पर भी है। लिहाजा बुरी तरह से लड़खड़ाई अर्थव्यवस्था में जान फूंकने की मोदी सरकार तैयारी में हैं। अधिकारियों का मानना है कि मोदी सरकार यह पैसा बैकों के रिकैप्टलाइजेशन, रूरल जॉब्स प्रोग्राम और रूरल हाउसिंग में खर्च करने पर विचार कर रही है। जेटली ने अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिए इस सप्ताह कैबिनेट मंत्रियों और अधिकारियों के साथ बैठक की। बताया जा रहा है कि ऐसे क्षेत्र में ज्यादा खर्च करेगी, जिससे रोजगार पैदा हों। साथ ही अर्थव्यवस्था को रफ्तार मिले।