भोपाल। त्योहरी सीजन पर जीएसटी का दुष्प्रभाव साफ दिखाई दे रहा है। सरकार जीएसटी को समझाने में नाकाम रही और मौका परस्त कारोबारियों ने जीएसटी को ग्राहकों के सामने हौआ बना दिया। हालात यह है कि विजयदशमी के अवसर पर आयोजित होने वाली रामलीला और रावण का पुतला भी जीएसटी के नाम पर महंगा हो गया है। आयोजकों का बजट गड़बड़ा गया है। रावण बनाने वाले कारीगरों ने भी अपनी कीमतें बढ़ा दी है। अजीब बात यह है कि पुतला बनाने वाले कारीगरों ने जीएसटी में रजिस्ट्रेशन तक नहीं कराया है और उनका कारोबार 20 लाख से कम होता है अत: जीएसटी लगता ही नहीं।
आयोजनकर्ताओं ने पिछले बार, रावण, कुंभकर्ण और मेघनाथ सहित आतंकवाद और समसामयिक मुद्दों पर पुतलों का निर्माण किया था। इस बार बजट में कटौती करते हुए केवल रावण सहित केवल तीन पुतले ही बनाए जा रहे हैं। राज्य के कई जिलों में महंगाई के चलते रावण के पुतले की ऊंचाई को कम कर दिया गया है, जिससे की बजट को गड़बड़ाने से बचाया जा सके। रावण बनाने वाले कारीगरों को भी जीएसटी के चलते पुतले बनाने की हर एक चीज के लिए दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। कारीगरों का कहना है कि जीएसटी की वजह से कई वस्तुओं के दाम बढ़ गए हैं।
यह पहला मौका नहीं है जब नोटबंदी या जीएसटी की वजह से कारोबार प्रभावित रहा हो। रक्षाबंधन से त्यौहारी सीजन की शुरुआत मानी जाती है, लेकिन नोटबंदी और जीएसटी की मार के बाद पिछले 10 साल में सीजन की सबसे खराब शुरुआत रही थी। वहीं त्याग और बलिदान के त्यौहार ईद पर भी बाजार से रौनक गायब थी। नोटबंदी की मार के बाद धीरे-धीरे उबर रहे बाजार पर जीएसटी का ग्रहण साफ दिखाई दे रहा है।