नई दिल्ली। पूरी तरह से कारोबारी हो चुकी चिकित्सा व्यवस्था के संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ा फैसला दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया है जिन अस्पतालों में इंटेंसिव केयर यूनिट यानी आईसीयू नहीं होंगे, वहां ऑपरेशन भी नहीं किए जा सकते क्योंकि इससे मरीज की जान को खतरा हो सकता है। जस्टिस आदर्श कुमार गोयल और यूयू लिलत की बेंच ने यह फैसला एक याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है। इसके साथ ही यह तय हो गया कि उन सभी अस्पतालों में आॅपरेशन थिएटर भी बंद कर दिए जाएंगे जहां आईसीयू नहीं है।
बिजॉय कुमार सिन्हा ने कोर्ट में याचिका लगाते हुए कहा था कि उनकी पत्नी की मौत अस्पताल की तथाकथित लापरवाही के कारण हुई थी। कोलकाता के आशुतोष नर्सिंग होम में डॉ. बिश्वनाथ दास ने बिजॉय की पत्नी की हिस्टीरिकटॉमी सर्जरी की थी। मगर, नर्सिंग होम में आईसीयू की सुविधा नहीं थी। इस मामले में 23 साल तक लंबी कानूनी लड़ाई लड़ते हुए याचिकाकर्ता की भी मौत हो चुकी है। सुप्रीम कोर्ट पहुंचने से पहले ये मामला 11 साल तक कन्ज्यूमर फोरम में भी चला था।
बिजॉय की मौत के बाद उनके बेटे सॉमिक रॉय ने मामले को आगे बढ़ाया, ताकि उनकी मां को इंसाफ मिल सके। कोर्ट ने इस मामले में सॉमिक को पांच लाख रुपए क्षतिपूर्ति दिए जाने का फैसला भी दिया है। इसमें से तीन लाख रुपए डॉ. दास को देने होंगे, जबकि दो लाख रुपए नर्सिंग होम के मालिक डॉ. पीके मुखर्जी देंगे।
बिजॉय के वकील सुचित मोहंती ने बताया कि बिजॉय की मौत के बाद वे मुश्किल में पड़ गए थे, लेकिन फिर उनके बेटे सॉमिक रॉय को उनका कानूनी वारिस बनाकर केस को अंजाम तक पहुंचाया। ये सर्जरी दिसंबर 1993 में हुई थी। इसके एक महीने बाद उनकी मौत हो गई थी और मामला 2008 से सुप्रीम कोर्ट में लंबित था। इस मामले का फैसला आने में 23 साल का वक्त लग जाने के कारण सुप्रीम कोर्ट ने नैशनल कन्ज्यूमर डिस्प्यूट्स रिड्रेसल कमिशन को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि राज्यों के कंज्यूमर फोरम मामलों को जल्दी निपटाएं।