भोपाल। 2018 के चुनाव में विरोधी लहर से बचने के लिए सीएम शिवराज सिंह ने वो कदम भी उठा लिया जिसका ना केवल एक सभ्य वर्ग विरोध कर रहा था बल्कि भाजपा की नींव के पत्थर काफी नाराज थे। शिवराज सिंह सरकार ने अधिसूचना जारी कर दी है कि आपातकाल के दौरान यदि कोई एक दिन भी जेल में रहा तो उसे लोकनायक जयप्रकाश नारायण सम्मान निधि (पेंशन) दी जाएगी। बता दें कि आपातकाल के दौरान जेल में बंद हुए कई लोगों ने ना केवल लिखित में माफी मांगी बल्कि आपातकाल के फैसले पर अपना विश्वास भी जताया था। बाद में इन्हे अवसरवादी और लोकतंत्र के गद्दार करार दिया गया।
जारी अधिसूचना के अनुसार अब एक दिन भी मीसा कानून के तहत जेल में बंद रहने वाले व्यक्तियों को पेंशन की पात्रता होगी। इन्हें आठ हजार रुपए महीना पेंशन मिलेगी। कैबिनेट से नियमों में संशोधन को मंजूरी मिलने के बाद सामान्य प्रशासन विभाग ने राजपत्र में अधिसूचना जारी कर दी है।सामान्य प्रशासन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि प्रदेश में ऐसे कई व्यक्ति हैं, जिन्हें मीसा कानून के तहत कुछ दिनों के लिए जेल में बंद रखा गया था। लोकनायक जयप्रकाश नारायण सम्मान निधि नियम 2008 के तहत कम से कम एक माह जेल में बंद रहने वालों को पेंशन की पात्रता थी।
इसके कारण प्रदेश के कई लोगों को पेंशन नहीं मिल पा रही थी। मीसाबंदियों के संगठन ने सरकार से नियमों में बदलाव की मांग की थी। इसके मद्देनजर सरकार ने नियमों में बदलाव करके यह प्रावधान कर दिया है कि एक माह से कम अवधि के लिए भी यदि कोई मीसा कानून के तहत बंदी रहा है तो उसे आठ हजार रुपए मासिक पेंशन दी जाएगी। इससे अधिक अवधि वाले लोगों को 25 हजार रुपए मासिक पेंशन मिलेगी। इसके साथ ही दो व्यक्तियों द्वारा संबंधित व्यक्ति के जेल में बंद रहने संबंधी शपथपत्र की शर्त को भी समाप्त कर दिया है।