भोपाल। मौलाना आजाद नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के हास्टल नंबर 10 में फांसी पर झुलती मिली स्टूडेंट पलास कोठे की लाश का मामला अब आत्महत्या से अलग होता नजर आ रहा है। वो 40 दिन पहले ही यहां आया था। उसके पिता का कहना है कि पलास उन कमजोर लोगों में से नहीं था जो सुसाइड कर लेते हैं। वो जिंदगी से संघर्ष करना जानता था। उसने दो साल कोटा, राजस्थान में आईआईटी की तैयारी की थी। जेईई परीक्षा में पास होने के बाद उसे मैनिट में दाखिला मिला था। इधर सुसाइड नोट भी कुछ इस तरह से लिखा गया है मानो संदेह के दायरे में आने वाले सभी लोगों को क्लीनचिट दी गई हो। सवाल यह है कि क्या एक छात्र सुसाइड से पहले यह सबकुछ समझता था कि उसके सुसाइड कर लेने से कौन कौन लोग संदेह की जद में आ जाएंगे। पलास के पिता का कहना है कि उसके साथ जरूर मैनिट में बीते 40 दिन में ऐसा कुछ गलत हुआ, जिसकी वजह से उसे ऐसा कदम उठाने को मजबूर होना पड़ा। पुलिस को इसकी जांच कर सच्चाई सामने लानी चाहिए।
40 दिन पहले माता-पिता छोड़ने आए थेः
गौरतलब है कि मूलतः एमपईबी कॉलोनी छिंदवाड़ा निवासी 18 वर्षीय पलास कोठे पिता प्रमोद कोठे को जेईई के जारिए उसे मैनिट में ईसी ब्रांच में प्रवेश मिला था। पलास अपने अपने परिवार का बड़ा बेटा था। उसका छोटा भाई गोपी दसवीं क्लास में पढ़ता है। उसके पिता प्रमोद प्राइवेट जॉब करते हैं। 40 दिन पहले पलास को मैनिट में प्रवेश दिलाने के लिए माता-पिता दोनों साथ आए थे। जहां वह हॉस्टल में उसके रूम पार्टनर अमन से भी मिलकर गए थे। अमन रीवा का रहने वाला है।
रोज की तरह दादा से बात नहीं की तो हुई चिंताः
प्रमोद कोठे ने बताया कि उनके बेटे का सबसे ज्यादा लगाव अपने दादाजी डोमा जी महादेव कोठे से था। वह रोज उनसे बात करने के लिए फोन लगाता था। सोमवार को जब पलास ने फोन नहीं किया तो मेरे पिता उसे मोबाइल पर लगातार कॉल कर रहे थे, लेकिन वह उठा नहीं रहा था। उन्हें चिंता हुई, इसी दौरान साढ़े दस बजे के करीब मैनिट प्रबंधन की ओर से पलास के बीमार होने की खबर दी गई। महादेव सुबह अपने बेटे-बहू और रिश्तेदारों के साथ मैनिट पहुंच गए।
मुख्यमंत्री मेधवी छात्र योजना का स्कॉलर था पलास
पलास के दादा डोमा जी महादेव कोठे का कहना है कि पलास बहुत होशियार था। 12 वीं क्लास में उसे 91 फीसदी अंक आए थे। मुख्यमंत्री मेधवी छात्र योजना में उसके आवेदन को स्वीकर कर लिया गया था। इससे उसकी फीस भी जल्द माफ होने वाली थी। आखिर 40 दिनों में मैनिट में उसके साथ ऐसा क्या हुआ, उसे जान देने के लिए विवश किया गया है। प्रमोद कोठे ने कहा कि उनके बेटे के रूम पार्टनर से भी पूछताछ होनी चाहिए। उसे पता होगा कि आखिर ऐसा क्या मामला कि उसने अपनी इतनी कम उम्र में अपनी जान दे दी।
सुसाइड नोट संदेह के दायरे में
पलास के पास से मिले सुसाइड नोट में लिखा है कि उसके इस कदम से मैनिट का कोई संबंध नहीं है न ही रैगिंग और न ही यहां के कोई स्टूडेंट या फिर और कोई भी। शायद मेरी जिंदगी में 35 दिन ही खुशी के बचे थे। मैनिट में लगभग 70 फीसदी स्टूडेंट कोटा के थे। पहले मेरे पास ऑप्शन था पर अब नहीं है। पर इसमें स्टूडेंट और मैनिट के किसी का भी कोई रोल नहीं है। मेरे रूम पार्टनर को डिस्टर्ब न करें... बट मैंने गाली नहीं दी थी। गोपी, मम्मी-पापा का ध्यान रखना और अच्छे से पढ़ना। मम्मी-पापा गोपी का ध्यान रखना। वह बाहर पढ़ने जाना चाहे तो रोकना मत। बाय ...पलास कोटे
सवाल यह है कि क्या एक स्टूडेंट कानून की इतनी बारीकियां जानता था जो उसने अपने सुसाइड नोट में उन सारे लोगों को क्लीनचिट दे दी जो पुलिस जांच की जद में आ सकते हैं। सवाल यह भी है कि जब उसे सुसाइड का कारण बताना ही नहीं था तो उसने सुसाइड नोट लिखा ही क्यों। कहीं ऐसा तो नहीं कि रैगिंग के दौरान पलास कोठे से सुसाइड नोट लिखवाया गया हो और फिर उसे जिंदा फांसी पर लटका दिया। मामला एक व्यक्ति की मौत का है इसलिए संदेह का दायर छोटा नहीं हो सकता।
हैंडराइटिंग की होगी जांच
सुसाइड नोट में काफी काट छांट है। पलास ने सुसाइड नोट लिखने का समय 5ः15 बजे और तारीख 4 सितंबर 2017 लिखी है। पुलिस सुसाइड नोट की हैंडराइटिंग से जांच करवाने की बात कह रही है। कमला नगर के एएसआई परिहार का कहना है कि सुसाइड नोट और उसके साथियों के बयान लिए जा रहे हैं।