भोपाल। MANOHAR DAIRY BHOPAL भोपाल के सबसे महंगे रेस्त्रां में से एक है जहां बाजार से महंगे पकवान मिलते हैं, लेकिन लोग खरीदते हैं क्योंकि उनका विश्वास है कि वहां क्वालिटी और स्वच्छता का ध्यान रखा जाता है। मनोहर डेयरी का डिस्पले और रेस्त्रां की दूसरी व्यवस्थाएं देखें तो कोई भी पूरा भरोसा कर लेगा कि यहां क्वालिटी और स्वच्छता का ध्यान रखा जाता है और यह दूसरे किसी भी रेस्त्रां से ज्यादा अच्छा है परंतु एफएसएसआई के निर्देश पर हुई एक छापामार कार्रवाई में इसके कारखाने में जो कुछ मिला वो चौंकाने वाला था। कई पकवानों में क्वालिटी का ध्यान नहीं रखा जा रहा था जबकि स्वच्छता की तो शुरूआत ही नहीं हो रही थी।
शनिवार को गोविंदपुरा स्थित मनोहर डेयरी के कारखाने में फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथारिटी ऑफ इंडिया (एफएसएसआई) के निर्देश पर सीएमएचओ व खाद्य सुरक्षा अधिकारियों की टीम ने एक शिकायत पर कार्रवाई करते हुए छापामार निरीक्षण किया। यहां पाया गया कि पकवान बना रहे कर्मचारियों के हाथ में दस्ताने नहीं हैं। उस पर भी नाखून बड़े-बड़े हो चुके हैं। कमीज के ऊपर एप्रन नहीं है, बल्कि कर्मचारी दूसरे घटिया होटलों की तरह बनियान में काम कर रहे हैं। कारखाने के दरवाजे पर हाथ धोने के लिए कोई प्रबंध नहीं है। कर्मचारी गंदे हाथों के साथ अंदर आते हैं। सब्जियों को बिना धोए ही काटा जा रहा था। शुगर फ्री के नाम पर शुक्रोलोज मिली सोन पपड़ी बन रही थी, जो बच्चों के लिए नुकसानदेह है।
क्या था मामला
एफएसएसआई के एप के जरिए एक उपभोक्ता ने शिकायत की थी कि मनोहर डेयरी की शुगर फ्री सोन पपड़ी में शुक्रोलोज मिलाया जा रहा है। यह कृत्रिम मिठास (अर्टिफिशियल स्वीटनर) है। इससे बच्चों का दिमागी विकास रुक जाता है। इस शिकायत के बाद सीएमएचओ डॉ. सुधीर जेसानी के साथ खाद्य सुरक्षा अधिकारियों की टीम ने कारखाने पर छापा डाला। टीम के पहुंचते ही कारखाने में अफरा-तफरी मच गई। कुछ कर्मचाारियों ने जल्दी से सिर पर कैप लगाई।
कैंसर का खतरा रहता है
टीम ने कारखाने का बारीकी से निरीक्षण किया, जिसमें कोई कमिया सामने आईं। चिप्स को प्लास्टिक के जिन बर्तनों में रखा गया था व फूड ग्रेड क्वालिटी के नहीं थे। इसी तरह से सोन पपड़ी बनाने के बाद उनके ऊपर काले रंग के पन्नी ढंकी गई थी। यह भी फूड ग्रेड क्वालिटी की नहीं थी। खाद्य सुरक्षा अधिकारियों ने बताया कि साधारण पन्नी या कंटेनर में खान-पान की चीजें लंबे समय तक रखने से कैंसर का खतरा रहता है।
लाइसेंस शर्तों का उल्लंघन किया जा रहा है
सीएमएओ डॉ. जेसानी ने बताया कि धारा 32 के तहत सफाई व अन्य व्यवस्थाओं में सुधार के निर्देश दिए गए हैं। 15 दिन में सब कुछ नियमों के अनुसार नहीं हुआ तो लाइसेंस समाप्त करने का नोटिस दिया जाएगा। निरीक्षण के दौरान उनके साथ खाद्य सुरक्षा अधिकारी डीके वर्मा, भोजराज सिंह धाकड़, धर्मेन्द्र नुनइया भी थे।
ये मिलीं कमियां
वॉश बेसिन नहीं: नियमानुसार कारखाने में घुसने से पहले वॉश बेसिन होना चाहिए, जिससे हाथ धोने के बाद ही कर्मचारी अंदर आ सकें।
सब्जी नहीं धोईः एफएसएसआई के नियमों के तहत सब्जियों को काटने के पहले धोना चाहिए, जिससे उनमें डाले गए केमिकल धुल जाएं। निरीक्षण के दौरान एक कर्मचारी ने कहा धुली है दूसरे ने कहा काटने के बाद धोएंगे।
लड्डू रखने के लिए स्टील के बर्तनों की जगह सिल्वर के बर्तन इस्तेमाल किए जा रहे थे।
चिप्स घटिया तेल से बनाई जा रही थी।
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जांच की सुविधा नहीं, इसलिए नहीं लिया सैंपल
शुगर फ्री सोन पपड़ी में यह लिखा गया था कि यह बच्चों के लिए नुकसानदेह है, लेकिन खाते समय बच्चे इसे पढ़ते और समझते नहीं, जिससे वे खा सकते हैं। इतनी सारी कमियां मिलने के बाद भी टीम ने सैंपल नहीं लिया। इसकी वजह यह कि बैक्टीरिया व फंगस की जांच के लिए फूड लैब में सुविधा ही नहीं है।
मनोहर डेयरी ने प्रतिक्रिया नहीं दी
इस प्रकरण के संदर्भ में मनोहर डेयरी की बेवसाइट पर दर्ज कांटेक्ट नंबर 9993708069 पर संपर्क किया गया। उपलब्ध व्यक्ति ने खुद को मैनेजर बताया परंतु उसने प्रतिक्रिया के लिए अधिकृत मनोहर डेयरी के संचालक से बात कराने या उनका नंबर देने से इंकार कर दिया। छापे की कार्रवाई के बाद घबराए संबंधित व्यक्ति ने अपना नाम तक नहीं बताया।