
जानकारी के अनुसार पुलिस मुख्यालय को फायबर के डंडों को लेकर लगातार शिकायत मिल रही थी। मुख्यालय ने जिला पुलिस से फायबर डंडों को लेकर रिपोर्ट मांगी थी। साथ ही तमाम पुलिस अधिकारियों के साथ इस मामले को लेकर कई बैठकें भी की गई। हाल ही में हुई एक रिव्यू मीटिंग में फायबर के डंडे को बांस के डंडे की तुलना में कमजोर बताया गया। पुलिस की रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि फायबर के डंडे दो से तीन महीने के अंदर टूट जाते हैं। यह डंडा भीड़ को खदेड़ने में भी प्रभावी नहीं रहता है। बदमाशों में भी इस डंडे से पिटाई का खौफ कम रहता हैै। साथ ही इस डंडे की मार भी तेज नहीं लगती है। इस रिपोर्ट के बाद पुलिस मुख्यालय ने तय किया है कि फायबर के डंडे को बदला जाएगा।
जिलों से आई रिपोर्ट के बाद पुलिस मुख्यालय ने फायबर के डंडों की जगह अब पचास हजार बांस के डंडे जवानों को देने के प्रस्ताव को हरी झंडी दी है। अब जल्द ही पुलिस जवानों को नए डंडे मिलेंगे। एक दो महीने में बांस के डंडों की खरीदी कर ली जाएगी। गौरतलब है कि प्रदेश में पुलिस आधुनिकीकरण के चलते करीब दस साल पहले फायबर के डंडे आए थे।