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MP कांग्रेस के लिए सिंधिया तय, हरियाणा में शैलजा

नई दिल्ली। मध्यप्रदेश में प्रभारी मोहनप्रकाश को बदलने के बाद अब प्रदेश अध्यक्ष का बदला जाना सुनिश्चित है। विकल्प के तौर पर 2 नाम चल रहे थे कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया। एआईसीसी सूत्रों का कहना है कि राहुल गांधी ने ज्योतिरादित्य सिंधिया के नाम पर सहमति जता दी है। कमलनाथ ने भी कहा है कि वो सिंधिया को पूरा सहयोग करेंगे और 2018 में मप्र में कांग्रेस की सरकार बनाएंगे। कमलनाथ राष्ट्रीय राजनीति में राहुल गांधी के साथ काम करेंगे। उनके अमेरिका से लौटते ही घोषणा हो जाएगी। इसी तरह हरियाणा में भी पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा का नाम फाइनल हो गया है। मप्र में अरुण यादव एवं हरियाणा में अशोक तंवर को रिप्लेस किया जाएगा। 

एआईसीसी सूत्रों ने बताया कि हरियाणा के मसले पर जब राहुल गांधी कमलनाथ से बात कर रहे थे लगातार मिल रहे थे उसी वक्त मप्र को लेकर भी बातें हुईं। राहुल गांधी चाहते हैं कि कमलनाथ दिल्ली की सियासत में उन्हें मदद करें और प्रदेश संगठन की बागडोर अपेक्षाकृत युवा 46 वर्षीय ज्योतिरादित्य को दिया जाए। यही कारण है कि लंबे समय से कमलनाथ का नाम एआईसीसी में पेंडिंग रखा गया। सूत्रों ने बताया कि कमलनाथ को भी सिंधिया के प्रदेश अध्यक्ष बनने से कोई गुरेज नहीं। 

कमलनाथ ने बल्कि एक कदम आगे जाकर आलाकमान से कहा है कि मप्र में कांग्रेस की सरकार बनाने के लिए वे सिंधिया, दिग्विजय सिंह के साथ काम करने को तैयार हैं। छह महीने की नर्मदा यात्रा की तैयारी कर रहे दिग्विजय सिंह ने पहले ही प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी लेने से शीर्ष नेतृत्व को मना कर दिया है। 

इधर हरियाणा की कमान अशोक तंवर से लेकर पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा को दिए जाने पर कमोबेश सहमति बन गई है। जबकि पूर्व मुख्यमंत्री भूपिदंर सिंह हुड्डा कैंप के नेता को विधायक दल का नेता बनाया जाएगा। फार्मूला लागू हुआ तो मौजूदा कांग्रेस विधायक दल नेता किरण चौधरी को इस्तीफा देना पड़ेगा। 

पार्टी के विश्वस्त सूत्रों ने बताया कि दलित वर्ग से आने वाले अशोक तंवर को हटाने के बाद रणनीतिकार दलित वर्ग की दूसरी कद्दावर नेता कुमारी सैलजा को आगे करने की रणनीति अपना रहे हैं। सूत्रों ने बताया कि अमेरिका यात्रा पर जाने से पहले पिछले दिनों हरियाणा प्रभारी कमलनाथ, भूपिंदर सिंह हुड्डा, अशोक तंवर और कुमार सैलजा के साथ उपाध्यक्ष राहुल गांधी की कई बैठकें हुईं। सिलसिलेवार बैठक के बाद फार्मूला तय कर दिया गया। इसमें सभी गुटों की सहमति भी है। रणनीतिकारों का मानना है कि हरियाणा की चुनावी बिसात पर दलित-जाट कांबिनेशन की चाल चली जाए तो भाजपा को घेरा जा सकता है।

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