
प्रदेश में अगले साल विधानसभा चुनाव हैं। ऐसे में कर्मचारियों की मांगों को छोड़ नेता खुद के मामले निपटाने में लगे हैं। इसे देखते हुए आम कर्मचारी खुद सड़कों पर उतरने को मजबूर हो गया है। लिपिकों की रैली ने उन्हें यह हिम्मत दी है। लिहाजा, छह साल पहले की तरह मंत्रालय, सतपुड़ा और विंध्याचल भवन के कर्मचारी इकठ्ठा हो रहे हैं। अलग-अलग संगठनों से 10 जुझारू नेतृत्वकर्ता तलाश लिए गए हैं, जो तीनों भवनों के कर्मचारियों को लेकर आंदोलन की रणनीति बनाएंगे और प्रभावी आंदोलन करेंगे।
मप्र तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ के लक्ष्मीनारायण शर्मा, विजय रघुवंशी, सुरेश गर्ग ने बताया कि वर्तमान हालात में आंदोलन जरूरी है। सभी नेतृत्वकर्ता अपने वर्तमान संगठन और पद की हैसियत से इसमें शामिल नहीं हो रहे हैं और न ही इसे संगठन की शक्ल दी जा रही है। हम एक जुझारू ग्रुप की तरह इकठ्ठे होकर आंदोलन करेंगे।