भोपाल। प्रदेश के ढाई लाख संविदा कर्मचारियों एवं अधिकारियों के वेतन, भत्ते और अवकाश जैसी सुविधाओं के मामले में बड़ी दिक्कत हो सकती है। शासन इनके लिए एक नए नियम बना रहा है। सामान्य प्रशासन विभाग यानी जीएडी इसका मसौदा तैयार कर रहा है। इस बारे में एक प्रस्ताव जल्द ही केबिनेट में भी लाया जा सकता है। यदि ये नियम बने और इन पर अमल हुआ तो इन कर्मचारियों को मेडिकल लीव, अर्जित अवकाश नहीं मिलेंगे। कोई भी विभाग वित्त विभाग की सहमति के बिना इनका वेतन नहीं बढ़ा सकेगा।
संविदा कर्मचारियों को लेकर प्रदेश में अभी एक समान नियम नहीं हैं। कई विभागों ने अपने स्तर पर एचआर पॉलिसी बनाई है। ज्यादातर विभागों में कार्यरत महिला संविदा कर्मचारियों के लिए प्रसूति अवकाश तक का प्रावधान नहीं है। समय-समय पर विरोध हुआ। कई महीनों से प्रदेश के संविदा कर्मचारियों के लिए नियम बनाने की कवायद जारी है।
मप्र संविदा कर्मचारी अधिकारी महासंघ ने सरकार के रवैये पर नाराजगी जाहिर की है। महासंघ के प्रदेशाध्यक्ष रमेश राठौर ने आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार दोहरी नीति अपना रही है। एक तरफ कालखंडों के मान से पढ़ाने वाले अतिथि शिक्षकों के लिए सीएम 25 फीसदी पद आरक्षित करने का एेलान करते हैं। बिना परीक्षा दिए चुने गए पंचायत कर्मियों, शिक्षा कर्मियों और गुरुजियों को रेगुलर किया जाता है। दूसरी तरफ 15- 20 साल से रेगुलर कर्मचारियों से ज्यादा काम करने वाले संविदा कर्मचारियों को निकाला जा रहा है और वेतन भत्ते काटे जा रहे हैं। यदि इन नियमों पर अमल करने से पहले रद्द नहीं किया गया तो प्रदेश के इतिहास का सबसे बड़ा आंदोलन किया जाएगा। हर विभाग और प्रोजेक्ट के लाखों संविदा कर्मचारी राजधानी में डेरा डालकर विधानसभा का घेराव करेंगे।