भोपाल। हाईकोर्ट ने कहा है कि मध्यप्रदेश में अनुसूचित जाति के रूप में अधिसूचित वर्ग छत्तीसगढ़ में इस वर्ग का लाभ पाने का हकदार नहीं है। जाति प्रमाण पत्र के आधार पर मिले अंक से याचिकाकर्ता का चयन आंगनबाड़ी सहायक के पद पर हुआ था। शिकायत के आधार पर नियुक्ति रद्द करने के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका लगाई गई थी। बिलासपुर जिले के हर्राटोला में रहने वाली रानी कोरी का चयन आंगनबाड़ी सहायक के पद पर हुआ था।
उसके जाति प्रमाण पत्र को लेकर शिकायत की गई कि यह मध्यप्रदेश राज्य से जारी किया गया था, लिहाजा वह जाति प्रमाण पत्र के लिए 10 अंक प्राप्त करने की हकदार नहीं है। असफल प्रत्याशी की अपील पर कार्रवाई करते हुए पेंड्रा रोड के एडिशनल कलेक्टर ने 23 जून 2014 को नियुक्ति रद्द कर दी थी। इसके खिलाफ उसने बिलासपुर के एडिशनल कमिश्नर के समक्ष अपील की, लेकिन यह भी खारिज कर दी गई। इस पर उसने 2015 में हाईकोर्ट में याचिका लगाई।
मामले की सुनवाई जस्टिस संजय के अग्रवाल की बेंच में हुई। याचिका में कहा गया कि कोरी जाति मध्यप्रदेश में अनुसूचित जाति के रूप में अधिसूचित है। नया राज्य बनने से पहले ही उसकी शादी छत्तीसगढ़ में रहने वाले नरेश के साथ हुई थी, लिहाजा वह अजा के रूप में लाभ प्राप्त करने की हकदार है। मामले की सुनवाई पूरी होने के बाद हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा था। गुरुवार को दिए गए फैसले में हाईकोर्ट ने इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए कई फैसलों का हवाला देते हुए कहा है कि मध्यप्रदेश में अनुसूचित जाति के रूप में अधिसूचित वर्ग छत्तीसगढ़ में इस वर्ग का लाभ पाने का हकदार नहीं है। साथ ही नियुक्ति रद्द करने के खिलाफ लगाई गई याचिका खारिज कर दी गई है।