सुधीर ताम्रकार/बालाघाट। जिले में ऑर्गेनिक खेती को बढावा देने की दिशा में अब मृत पशुओं को दफना कर समाधि बनाई जायेगी और उसमें खाद तैयार की जायेगी। मृत पशु से बनाई गई खाद 3 एकड क्षेत्र में लगी फसल के काम आयेगी। बगडमारा के उन्नत किसान जियालाल राहंगडाले ने जैविक कृषि को बढावा देने और पशु सवर्धन के लिये इस प्रयोग को अपना रहे हैं यह प्रदेश में गौ समाधि से जैविक खाद बनाने का पहला प्रयोग है। आगामी 21 सितम्बर को गौ समाधि से पहली बार खाद बनाने का यह प्रयोग सार्वजनिक किया जायेगा।
ऐसे बनेगी समाधि और खाद
6 फिट लम्बा, 4 फिट गहरा गढढा खोदा जायेगा। इसमें नीचे 1 फुट गोबर की परत बिछाई जायेगी। समाधि के उपर 60 किलो नमक तथा 60 किलो चूना डाला जायेगा। इसमें नमी बनाये रखने के लिये समय समय पर पानी भी दिया जायेगा।
12 माह में मृत पशु के अवशेष गलकर जैविक खाद में परिवर्तित हो जायेगें।
रासायनिक खाद के प्रयोग से 1 एकड में 3-4 हजार रूपये की लागत आती है।
समाधि से तैयार खाद के लिये 1000 रूपये की लागत आयेगी और 3 एकड फसल में उपयोग किया जायेगा। यानि 12000 की लागत वाला काम 1 हजार में हो जाएगा।
एक पशु की समाधि से 5 क्विंटल जैविक खाद तैयार होगी।
कृषि मंत्री गौरीशंकर बिसेन के गृह जिले में यह पहला प्रयोग किया जा रहा है।
राजेश त्रिपाटी कृषि उपसंचालक बालाघाट के अनुसार आम तौर पर पशु के मरने के बाद किसान उसे फेंक देेते हैं। या चर्मकार को दे देते है। इस प्रयोग के माध्यम से अब मृत पशुओं से जैविक खाद बनाई जा सकेगी। इस माध्यम से पशु संवर्धन को बढावा मिलेगा और कृषि उत्पादन में वृद्धि होगी।