MP/MLA के लिए स्पेशल फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाइए: सुप्रीम कोर्ट @मोदी सरकार

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार से कहा है कि वो सांसदों और विधायकों के खिलाफ आपराधिक मामलों में फटाफट फैसले के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाए। इसके लिए कानून लाने पर विचार करे। सेंट्रल डायरेक्ट टैक्स बोर्ड (सीबीडीटी) ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट को सीलबंद लिफाफे में सात लोकसभा सांसदों और 98 विधायकों के नाम सौंपे। ये वो MP, MLAs हैं जिनकी इनकम दो इलेक्शंस के बीच कई गुना बढ़ी पाई गई। इस मामले की शुरुआत एक एनजीओ ‘लोक प्रहरी’ की पिटीशन पर शुरू हुई थी। एनजीओ ने जनप्रतिनिधियों के एसेट्स की जांच का सवाल उठाया था। मंगलवार को मामले की सुनवाई जस्टिस जे. चेल्मेश्वर और जस्टिस अब्दुल नजीर की बेंच ने की। बेंच ने कहा- MPs and MLAs के प्रति सम्मान जताते हुए हम ये कहना चाहते हैं कि उनके खिलाफ मामलों की सुनवाई जल्द होना चाहिए। इसके लिए कानून के जरिए फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाए जाने चाहिए। इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया जाना चाहिए। 

बेंच ने कहा कि संसद नए कानून बनाती है। कोर्ट के सामने नए मामले आते हैं। जब भी पार्लियामेंट या असेंबली कोई कानून बनाती है तो इसके बाद इनसे जुड़े नए केस सामने आते हैं और यही कोर्ट इन्हें देखती हैं। बेंच ने आगे कहा- अगर कुछ खास ट्रिब्यूनल्स को छोड़ दिया जाए तो नए कोर्ट बनाए ही नहीं गए। अब नए कोर्ट्स के इंफ्रास्ट्रक्चर पर काम किया जाना चाहिए। बजट का एक या दो फीसदी हिस्सा ही ज्युडिशियरी पर खर्च किया जाता है। नए कोर्ट बनाने से केसों के पेंडेंसी भी कम होगी।

अटॉर्नी जनरल भी सहमत
सुनवाई में केंद्र की तरफ से पेश अटॉर्नी जनरल केके. वेणुगोपाल ने भी इस बात से सहमति जताई कि नए कोर्ट वक्त की जरूरत हैं। ये पहले भी बेहतर काम कर चुके हैं। इनसे फायदा ही हुआ है। MPs and MLAs के खिलाफ बेहिसाब संपत्ति मामलों की जांच के बारे में वेणुगोपाल ने कहा कि सीबीडीटी इन मामलों की गंभीरता से जांच कर रही है। इलेक्शन कमीशन से भी मदद ली जा रही है। अगर कोई गड़बड़ी पाई जाती है तो उनके एफिडेविट की भी जांच की जा सकती है। 

अटॉर्नी जनरल ने कहा- इलेक्टोरल रिफॉर्म्स पर कोर्ट के दखल के बाद अब कैंडिडेट्स को एफिडेविट में एसेट्स और क्रिमिनल केसों की जानकारी देनी होती है। अगर वो गलत जानकारी देते हैं तो उन्हें डिस्क्वालिफाई भी किया जा सकता है।

ऑर्डर नहीं कानून बनाइए
बेंच ने इस मामले पर फैसला रिजर्व रख लिया। इसके बाद कहा- केंद्र स्पेशल फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाने के लिए राज्यों को ऑर्डर देना बंद करे और इसकी जगह कानून बनाए ताकि इस तरह के मामलों की सुनवाई की जा सके। अटॉर्नी जनरल ने बेंच को बताया कि केंद्र राज्यों को ‘क्या करना है या क्या नहीं’, इस बारे में ऑर्डर नहीं देता बल्कि वक्त-वक्त पर सिर्फ एडवाइजरी जारी करता है।

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!