NEET एग्जाम के कारण दलित टॉपर छात्रा ने सुसाइड कर लिया

Bhopal Samachar
बेंगलुरु। मेडिकल कॉलेजों में ऐडमिशन के लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर NEET एग्जाम की प्रक्रिया शुरू की गई है। इस परीक्षा प्रक्रिया से नाराज एक छात्रा ने इसका तीव्र विरोध किया। उसने सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी दाखिल की थी। उसे 12वीं में 98 पर्सेंट मिले थे। उसके पिता दिहाड़ी मजदूर हैं। वो डॉक्टर बनना चाहती थी परंतु NEET एग्जाम में उसे 86 आए और उसका एडमिशन नहीं हुआ। इसी के चलते उसने सुसाइड कर लिया। तमिलनाडु निवासी 17 साल की अनीता अरियालुर जिले के कुझुमुर गांव की रहने वाली थी। उसने अपने घर में फांसी लगा ली। 

अनीता ने 12वीं की पढ़ाई तमिलनाडु स्टेट बोर्ड से की थी। उसके इस एग्जाम में 98 पर्सेंट नंबर आए थे। पिछले साल तक तमिलनाडु के मेडिकल कॉलेजों में ऐडमिशन 12वीं के नंबरों के आधार पर मिलता था। यानी यही नियम जारी रहता तो अनीता को मेडिकल कोर्स में ऐडमिशन आसानी से मिल जाता लेकिन इस बार सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु को नीट के तहत एग्जाम और काउंसिलिंग करने का आदेश दिया। केंद्र सरकार भी यही चाहती थी। नीट एग्जाम में अनीता को केवल 86 नंबर मिले। ऐसे में उसे एमबीबीएस कोर्स में दाखिला नहीं मिल पाया। इस कारण वह डिप्रेशन में थी। 

वो सिर्फ डॉक्टर बनना चाहती थी
अनीता ने इंजिनियरिंग के एंट्रेंस एग्जाम भी दिए थे, जिसमें उसके काफी अच्छे नंबर आए। उसे मद्रास इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी में ऐरोनॉटिकल इंजिनियरिंग में ऐडमिशन मिल रहा था, लेकिन उसने दाखिला नहीं लिया। इसी तरह बेंगलुरु इंस्टिट्यूट ऑफ वेटरिनरी साइंस में उसका ऐडमिशन कन्फर्म था, लेकिन वह सिर्फ डॉक्टर बनना चाहती थी।

उल्लेखनीय है कि तमिलनाडु ने इस साल राष्ट्रीय पात्रता एवं प्रवेश परीक्षा (NEET) से राज्य को बाहर रखने के लिए अधिसूचना जारी की थी। इसके बाद केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि तमिलनाडु द्वारा हाल ही में जारी अधिसूचना का वह समर्थन नहीं करता है। 

इसी मामले पर सुप्रीम कोर्ट में छह छात्रों ने याचिका दायर की थी। छात्रों ने राज्य सरकार को नीट में मिले अंकों के आधार पर तैयार मेधा सूची के अनुसार काउंसिलिंग शुरू करने का निर्देश देने की मांग की थी। इसके बाद 23 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में तमिलनाडु सरकार से राज्य में एमबीबीएस और बीडीएस की सीटों पर नामांकन के लिए नीट मेधा सूची के आधार पर काउंसिलिंग शुरू करने को कहा था। कोर्ट ने राज्य सरकार से चार सितंबर तक प्रक्रिया पूरी करने के लिए भी कहा था। 

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