पन्ना। मप्र के पन्ना टाईगर रिजर्व में 14 वर्षीय युवा हाथी विन्ध्या की रहस्यमयी मौत का सनसनीखेज मामला प्रकाश में आया है। टाईगर रिजर्व की हथिनी रूपकली ने वर्ष 2002 में विन्ध्या को जन्म दिया था। बचपन से ही नटखट स्वभाव का होने के कारण विन्ध्या देशी व विदेशी पर्यटकों को सहज ही अपनी ओर आकृष्ट कर लेता था। युवा अवस्था की दहलीज पर पहुँच चुके इस हाथी की असमय और संदेहजनक परिस्थितियों में हुई मौत ने पार्क प्रबंधन को संदेह की जद में ला दिया है। बता दें कि विन्ध्या एक कुशल तैराक हाथी था और जिस समय केन नदी में घटना बताई जा रही है, नदी में तेज बहाव भी नहीं था। अधिकारियों ने भी मामले को छुपाने की कोशिश की और पूरा होमवर्क करने के बाद मामला पार्क से बाहर निकलकर आया।
क्षेत्र संचालक पन्ना टाईगर रिजर्व विवेक जैन ने मामले के संबंध में जानकारी देते हुये बताया कि पीपरटोला कैम्प में मानसून गश्त के लिये 3 हांथियों रामबहादुर, वन्या और विन्ध्या को रूट रखा गया था। विगत 9 सितम्बर को सुबह इन तीनों हाथियों ने निर्धारित रूट पर गश्त भी किया था, गश्त के उपरान्त पीपरटोला कैम्प में तीनों हाथियों को खाना खिलाकर छोड़ दिया गया था। घूमते टहलते तीनों हाथी कैम्प के निकट से ही प्रवाहित होने वाली केन नदी की ओर गये थे। दोपहर लगभग 3 बजे दो हाथियों रामबहादुर व वन्या को केन नदी के किनारे महावतों ने खड़े देखा, वहां पर विन्ध्या कहीं भी नजर नहीं आया।
विन्ध्या जब आस-पास कहीं भी नहीं दिखा तो महावतों ने उसकी खोजबीन शुरू की लेकिन वह जंगल में भी नहीं मिला। हाथी के अचानक लापता हो जाने की सूचना महावतों व वनकमर्मियों द्वारा वरिष्ठ अधिकारियों को दी गई। सूचना मिलते ही सहायक संचालक मड़ला, वन परिक्षेत्र अधिकारी व अन्य स्टाफ मौके पर पहुँचा और विन्ध्या की सघन सर्चिंग की गई। देर शाम विन्ध्या हांथी का शव केन नदी के पानी में तैरता हुआ दिखाई दिया, जिसे 9 सितम्बर शनिवार की रात्रि में केन नदी के पानी से बाहर निकाला गया।
मृत हाथी का रविवार को हुआ पोस्टमार्टम
टाईगर रिजर्व के पीपरटोला कैम्प के निकट मैदान में मृत हाथी विन्ध्या का पोस्टमार्टम वन्य प्राणी चिकित्सक डॉ. संजीव गुप्ता द्वारा किया गया। इस मौके पर टाईगर रिजर्व के संयुक्त संचालक, सहायक संचालक पन्ना व मड़ला, वन परिक्षेत्र अधिकारी तथा अन्य स्टाफ मौजूद रहा। लेकन मामले सभी अधिकारी मामले को छुपाते रहे और पत्रकारों के सवालों से भागते रहे। चूंकि मौजूदा समय पन्ना टाईगर रिजर्व पर्यटकों के भ्रमण हेतु बंद है, इसलिये घटना की जानकारी रविवार की शाम तक बाहर किसी को नहीं मिल पाई।
पार्क प्रबन्धन द्वारा अधिकृत प्रेस नोट 11 सितम्बर सोमवार को दोपहर ढाई बजे जारी किया गया। इस संबंध में क्षेत्र संचालक विवेक जैन से जब पूछा गया तो उन्होंने बताया कि घटना दिनांक को वे जबलपुर में थे, इसलिये मीडिया को जानकारी नहीं दी जा सकी। इसके पीछे हमारी मंशा कोई चीज छिपाने की नहीं है, पूरे घटनाक्रम की बकायदे वीडियो रिकार्डिंग भी कराई गई है। पोस्टमार्टम के बाद मृत हाथी के शव को पीपरटोला में ही दफना दिया गया है।
हाथी की कैसे हुई मौत, रहस्य बरकरार
पन्ना टाईगर रिजर्व के सबसे चहेते 14 वर्षीय हांथी विन्ध्या की मौत आखिर कैसे और किन परिस्थितियों में हुई, यह रहस्य अभी भी बरकरार है। वन्य प्राणियों में हाथी को सबसे कुशल तैराक माना जाता है ऐसी स्थिति में बेहद धीमी प्रवाह वाली केन नदी में हाथी डूबकर मरा होगा, इस बात पर लोगों को सहसा विश्वास नहीं हो रहा। लेकिन मौत की अन्य कोई दूसरी वजह भी सामने नहीं आ पा रही जिससे मौत का रहस्य और गहरा गया है। हाथियों की निगरानी व देखरेख के लिये बकायदे महावत तैनात हैं। गश्त के दौरान महावत के साथ एक फारेस्ट गार्ड भी रहता है जो पूरे रास्ते का प्रतिदिन लॉग बुक भरता है। इतनी चाक चौबंद व्यवस्था के बावजूद केन नदी में डूबकर हांथी की मौत हो गई और महावत सहित मैदानी अमले को घण्टों इसकी भनक तक नहीं लगी, यह आश्चर्यजनक है।
डूब के ही मरते हैं अच्छे तैराक: जैन
क्षेत्र संचालक पन्ना टाईगर रिजर्व विवेक जैन ने भोपाल समाचार डॉट कॉम से चर्चा करते हुये कहा कि एक कहावत है अच्छे तैराक हमेशा डूब के ही मरते हैं। यह कहावत विन्ध्या हाथी की मौत के मामले में चरितार्थ हुई है। जैन ने यह भी स्वीकार किया कि हाथी बहुत ही अच्छा और कुशल तैराक होता है और सामान्य परिस्थितियों में हाथी डूबकर नहीं मर सकता, लेकिन दुर्भाग्य से पन्ना टाईगर रिजर्व में ऐसा घटित हुआ है।
हालांकि जैन के इस बयान को कुतर्क ही कहा जाएगा क्योंकि यह कहावत इंसानों के लिए बनाई है जो ओवर कांफीडेंस के शिकार हो जाते हैं। जानवरों के गुण दोष उनके चरित्र में होते हैं। वो कभी ओवर कांफीडेंस के शिकार नहीं होते।