राजेश शुक्ला/अनूपपुर। जिले में करोड़ो रुपये के घोटाले में ईओडब्लू द्वारा एफआईआर दर्ज करने के बाद जिले के लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग में हडकम्प मचा हुआ है। आरोपी अधिकारी/कर्मचारी एक दूसरे को इसके लिये दोषी ठहरा रहे हैं। एक आरोपी उपयंत्री ने विभाग के तत्कालीन प्रमुख सचिव को ही इसके लिये दोषी ठहरा दिया है। साल 2014 में लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग में करोड़ो का घोटाला हुआ था। अनूपपुर विधायक रामलाल रौतेल द्वारा विधानसभा में मामला उठाने के बाद इस मामले की जांच के आदेश दिये गये थे।
ईओडब्लू ने जांच के बाद विभाग के 6 अधिकारी/कर्मचारी सहित कुल 13 लोगो के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। तत्कालीन कार्यपालन यंत्री वी.के.मरावी, एस.डी.ओ.आर.पी.अहिरवार, उपयंत्री एस.पी. व्दिवेदी, तकनीकी शाखा प्रभारी डी.के.पचौरी, लेखा अधिकारी आरजी पनिका और बाबू बंसतलाल मामले में आरोपी बनाये गये हैं। इसके अलावा भोपाल, छतरपुर, कटनी और अनूपपुर जिले के 7 फर्मो के खिलाफ धोखाधड़ी, आपराधिक साजिश और भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है।
एफआईआर दर्ज होने के बाद विभाग में हडकम्प मचा हुआ है। आरोपी अधिकारी कर्मचारी एक दुसरे तोहमत लगा रहे हैं। आरोपी बनाये गये उपयंत्री एस.पी.व्दिवेदी ने तो विभाग के तत्कालीन प्रमुख सचिव को ही इसके लिये दोषी ठहरा दिया है। द्विवेदी ने कहा है कि प्रमुख सचिव ने वीडियो कान्फे्रसिंग मे एक महीने के भीतर नलजल योजना का लक्ष्य पूरा करने को कहा था। टेंडर निकालने की प्रक्रिया अपनायी जाती तो कई महीने लग जाते। एैसे में बगैर टेंडर निकाले ही पाईप और अन्य सामान खरीदी की गयी। इसके लिये तत्कालीन प्रमुख सचिव जिम्मेदार हैं।
एक अन्य आरोपी एस.डी.ओ.आर.पी.अहिरवार ने तत्कालीन कार्यपालन यंत्री वीके मरावी को इसके लिये जिम्मेदार ठहराया है। मरावी ने फर्मो को वर्क ऑडर दिया जिसके आधार पर काम किया गया था। फिलहाल विभाग ने 3 करोड़ रुपये का भुगतान रोका हुवा है। घोटाले से संबंधित सभी फाईले ईओडब्लू के पास जब्त है। वर्तमान कार्यपालन अधिकारी के पास अब तक एफआईआर दर्ज करने की कोई सूचना नहीं आयी है। नलजल योजना के लिये करीब 10 करोड रुपये की मनमानी खरीदी कर शासन को 5 करोड़ रुपये का नुकसान पहुचाया गया है। इस प्रक्रिया में 29 लाख रुपये से अधिक का बंदरबांट हुआ है।
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