धर्मांतरण के बाद भी बेटी पिता की PROPERTY में हकदार

Bhopal Samachar
अहमदाबाद। गुजरात हाई कोर्ट ने संपत्ति के उत्तराधिकार पर एक अहम फैसला दिया है। कोर्ट ने कहा है कि हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम के अनुसार अगर हिंदू महिला किसी मुस्लिम से शादी करती है और हिंदू धर्म छोड़कर मुस्लिम धर्म अपनाती है तो भी वह उसके पिता की पैतृक संपत्ति की हकदार होगी। गुजरात हाई कोर्ट के जस्टिस जेबी परदीवाला ने बुधवार को यह आदेश दिया है। उन्होंने हिंदू अधिनियम का व्याखयान करते हुए कहा कि हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम धर्म परिवर्तन करने पर पैतृक संपत्ति के लिए अयोग्य होना नहीं बताती है। अगर धर्म परिवर्तन करने के बाद उसकी कोई संतान होती है जो धर्म परिवर्तन के बाद उसके पति या पत्नि से उत्पन्न हुई हो वह हिंदू परिवार के किसी भी रिश्तेदार पर संपत्ति का हक नहीं जता सकता।

इस आदेश के साथ हाई कोर्ट ने राज्य के राजस्व विभाग को भी आदेश दिया है कि वह महिला के उस राजस्व रेकॉर्ड में परिवर्तन करें जिसमें उन्होंने यह सहमति दी थी कि कोई महिला मर्जी से उसका हिंदू धर्म छोड़कर दूसरा धर्म अपनाती है तो वह उसके हिंदू पिता की संपत्ति से अधिकार खो देगी। कोर्ट ने राजस्व रेकॉर्ड में महिला का उसके पिता की संपत्ति में वरासतन दर्ज करने का भी आदेश दिया है।

मामला वडोदरा की नसीमबानो फिरोजखान पठान (नी नैनाबेन भीखाभाई पटेल) का है। उसने 11 जुलाई 1990 को हिंदू धर्म छोड़कर मुस्लिम धर्म अपना लिया था। उसके बाद 25 जनवरी 1991 को फिरोज खान के साथ मुस्लिम रीति रिवाज से शादी कर ली थी। नसीमबानों के पिता भीखाभाई पटेल की मृत्यु 2004 में हो गई। भीखाराम की गांव में काफी संपत्ति थी। जब पिता की मौत के बाद नसीमबानों ने पिता की संपत्ति वरासत में नाम दर्ज करने के लिए आवेदन किया तो उसके भाई-बहनों ने उसे संपत्ति का हकदार न होना बताया।

इससे पहले मामले में डिप्टी कलेक्टर ने मुस्लिम महिला को पैतृक संपत्ति का हकदार बनाया था। मामला जिलाधिकारी और राजस्व सेकेट्री के पास पहुंचा। उन्होंने डिप्टी कलेक्टर के इस आदेश को खारिज कर दिया, और कहा कि नसीमबानों ने मर्जी से मुस्लिम धर्म अपनाया है। विरासतन कानून के हिसाब से हिंदू पर इस मामले में संपत्ति देने के लिए दबाव नहीं बनाया जा सकता। मामले की सुनवाई करने के बाद जस्टिस परदीवाला ने इसे विस्तारित करते हुए कहा कि पहले से मौजूद हिंदू शास्त्री अधिनियम हिंदू महिला को उत्तराधिकार और रखरखाव के लिए उत्तराधिकारी नहीं मानता है, जबकि स्वतंत्र भारत आज के वरासत अधिनियम को मानता है।

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!