नागपुर। भारत में सत्तारुढ़ पार्टी भाजपा की मातृसंस्था राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के स्थापना दिवस समारोह के अवसर पर मुख्य कार्यक्रम में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत भी अर्थव्यवस्था को लेकर चिंतित दिखे और उन्होंने भी हर हाथ रोजगार की मांग दोहराई, जो इस समय हर आलोचक कह रहा है। बता दें कि हाल ही में अटल सरकार में वित्तमंत्री रहे यशवंत सिन्हा ने गिरती अर्थव्यवस्था के लिए जेटली को जिम्मेदार ठहराते हुए लेख लिखा था कि यदि तत्काल हर हाथ रोजगार के इंतजाम नहीं किए तो यह भारत में भयंकर गरीबी दिखाने वाली सरकार साबित होगी। मोहन भागवत ने भी कहा कि आर्थिक सुधार देश के लिए एक मानक सही नहीं हो सकता। देश में हर हाथ को काम मिलना चाहिए।
वह बोले कि सीमाओं पर सुरक्षा को चुनौती देने वालों को हमने जवाब दिया। अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी उन्हें जवाब मिला है। कश्मीर में देश विरोधी ताकतों की आर्थिक रूप से कमर टूट गई है। कश्मीर घाटी में शिक्षा और स्वास्थ्य की सुविधाएं जैसी चाहिए वैसी नहीं पहुंच रही है। शासन-प्रशासन और समाज के समन्वयित प्रयास से राष्ट्र के शत्रुओं से लड़ाई जारी रखते हुए सामान्य जनता को भारत की अत्मीयता का अनुभव कराना चाहिए। इस काम में अगर कुछ पुराने प्रावधान आड़े आ रहे हैं तो उनको बदलना पड़ेगा।
उन्होंने कहा कि केरल और बंगाल के समाचार किसी से छुपे नहीं हैं। वहां जिहादी और राष्ट्र विरोधी ताकतें अपना खेल कर रही हैं। शासन प्रशासन वहां का वैसा ध्यान नहीं देता है। वह भी उन्हीं का साथ देता है। राजनीति में वोटों की खुशामद करनी पड़ती है लेकिन समाज मालिक है। उस समाज को जागरूक बनाना चाहिए।
आरएसएस प्रमुख ने कहा कि म्यांमार से रोहिंग्या क्यों आ गए? उनकी अलगाववादी, हिंसक गतिविधियां जिम्मेदार हैं। इन लोगों को अगर आश्रय दिया गया तो वे सुरक्षा के लिए चुनौती बनेंगे। इस देश से उनका नाता क्या है? मानवता तो ठीक है लेकिन इसके अधीन होकर कोई खुद को समाप्त तो नहीं कर सकता। हमारी सुरक्षा के लिए सीमा पर जवान जान की बाजी लगाकर कर्तव्य का निर्वहन कर रहे हैं। उनको कैसी सुविधाएं मिल रही हैं। उनको साधन संपन्न बनाने के लिए हमें अपनी गति बढ़ानी पड़ेगी।
उन्होंने कहा कि शासन के अच्छे संकल्प तो हैं लेकिन इसको लागू कराना और पारदर्शिता का ध्यान रखना जरूरी है। लोगों के लाभ के लिए अनेक योजनाएं चलीं। साहस करने में भी शासन कम नहीं है लेकिन जो किया है उसका हो क्या रहा है, इसे समझना चाहिए। आर्थिक सुधार के लिए हम देश के लिए एक मानक सही नहीं हो सकता। देश में हर हाथ को काम मिलना चाहिए। स्वरोजगार. लघु, मध्यम और कुटीर उद्योग से सबसे ज्यादा काम मिलता है। विश्व के आर्थिक भूचालों का असर भारत पर सबसे कम हुआ। ऐसा छोटे व्यापारों की वजह से हुआ।
सरसंघचालक मोहन भागवत ने कार्यक्रम को करेंगे संबोधित करते हुए कहा, 'मुंबई के फुटओवर ब्रिज पर भगदड़ में जान गंवाने वाले लोगों के प्रति हम दुख प्रकट करते हैं।' आगे उन्होंने कहा कि हम 70 साल से स्वतंत्र हैं, फिर भी पहली बार अहसास हो रहा है कि भारत की प्रतिष्ठा बढ़ रही है। सारी दुनिया में हमारी प्रतिष्ठा ऊंची हुई है। भारत पहले भी था, हम सब भी थे लेकिन भारत को गंभीरतापूर्वक देखना और भारत में दखल देने से पहले 10 बार विचार करना। यह बातें केवल आज सामने आई हैं।
मोहन भागवत ने कहा, 'समाज में यही चर्चा है कि ऐसा काम हो रहा है और यह भी होना चाहिए, ऐसी चर्चा कहीं नहीं है कि काम नहीं हो रहा है। सीमाओं पर सुरक्षा को चुनौती देने वालों को हमने जवाब दिया। अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी उन्हें जवाब मिला है।
नागपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का विजयादशमी उत्सव कार्यक्रम में सरसंघचालक मोहन भागवत के साथ लाल कृष्ण आडवाणी, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस भी पहुंचे। विजय दशमी के मौके पर आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने शस्त्र पूजा की, जिसकी परंपरा काफी समय से चली आ रही है।