
3 मार्च को शासन ने दरे के बतौर महापौर वित्तीय और प्रशासनिक अधिकार छीन लिए थे। करीब सवा सात महीने बाद उनकी निगम में बेदाग वापसी हो रही है। नगरीय प्रशासन विभाग के प्रमुख सचिव मलय श्रीवास्तव ने मंगलवार देर शाम आदेश जारी कर महापौर अभय दरे के वित्तीय और प्रशासनिक अधिकार बहाल कर दिए हैं। देर शाम को पीएस का आदेश नगर निगम आयुक्त कार्यालय पहुंच गया।
21 फरवरी को कथित ऑडियो वायरल हुआ था
महापौर दरे और निगम के ठेकेदार संतोष प्रजापति के बीच जेसीबी मशीन के भुगतान को लेकर कथित रूप से कमीशन की बातचीत को लेकर ऑडियो वायरल हुआ था। मामले को गंभीरता से लेते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 22 फरवरी को नगरीय प्रशासन विभाग के आयुक्त को जांच के आदेश दिए थे। दो मार्च को भोपाल में आयुक्त विवेक अग्रवाल ने महापौर व ठेकेदार के बयान लिए थे। इसके ठीक अगले दिन 3 मार्च को आनन-फानन में विभाग के आयुक्त विवेक अग्रवाल सह सचिव ने उन्हें प्राथमिक रूप से कदाचरण का दोषी पाते हुए वित्तीय और प्रशासनिक अधिकार छीन लिए थे। सरकार ने मामले में और सख्त कदम उठाते हुए प्रकरण को आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्ल्यू) को सौंप दिया है।
30 पेज का आदेश, हर आरोप खारिज
प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार महापौर अभय दरे के अधिकार बहाली को लेकर नगरीय प्रशासन विभाग के प्रमुख सचिव मलय श्रीवास्वत ने जो आदेश जारी किया है वह करीब 30 पेज का आदेश है। उसमें दरे पर लगाए गए एक-एक आरोप को खारिज कर दिया गया है। इतना ही नहीं यह भी उल्लेख है कि उन पर जेसीबी भुगतान में जो 25 प्रतिशत कमीशन लेने का आरोप लगा था वह निराधार है। उन्होंने उक्त करीब 10 लाख के बिल में करीब 3 लाख की कटौती कर निगम का उल्टा फायदा पहुंचाया है। सबसे खास बात महापौर के खिलाफ उन्हें पद से हटाने के लिए नगर पालिक निगम एक्ट की धारा 19 ख के तहत कार्रवाई प्रस्तावित की जा रही थी। उसे सिरे से खारिज कर दिया गया है।