
मुख्यमंत्री ने चित्रकूट में सैकड़ों किसानों के बीच सतना के पिथौराबाद निवासी किसान बाबूलाल दाहिया को सम्मानित करने का निर्णय लिया था। मगर किसान ने ये सम्मान ठुकरा दिया। दहिया ने सरकार पर गंभीर आरोप भी लगाए। किसान का तर्क है कि वे मुझे पुरस्कार देकर अपनी और अपनी सरकार की वाहवाही कराना चाहते थे। एक तरफ किसानों को गोली मारी जा रही और किसान आत्महत्या कर रहा है, दूसरी तरफ मुझे सम्मान दिया जा रहा है। यह कैसा सम्मान है।
प्रदेश में किसानों की हालत बदतर है। प्रदेश में कृषि लाभ का धंधा नहीं है और ना कभी थी। प्रदेश सरकार पूंजीपति किसानों के आंकड़े प्रस्तुत करके प्रदेश के किसानों को खुशहाल बता रही है। कृषि को लाभ का धंधा बताती है, जबकि सच्चाई इसके बिल्कुल उलट है। दाहिया एक तकनीकी विशेषज्ञ किसान है। ऐसे किसान हैं जिन्होंने धान की 125 किस्में संरक्षित की हैं और इलाके के किसानों को नि:शुल्क मदद करते हैं। उनके इस योगदान के लिए केंद्र और प्रदेश की सरकार कई अवार्ड से नवाज चुकी है।