भोपाल। यदि आप अदालत में कोई नया मामला पेश करने जा रहें है तो अपना आधार कार्ड रखना न भूले। अब अदालत में लगने वाले हर मामले में आधार नंबर अनिवार्य कर दिया गया है। मामला आपराधिक हो या सिविल, या फिर चैक बाउंस का, आपको अपना और जिसके विरुद्ध मामला पेश किया जा रहा है उसका आधार नंबर और मोबाइल नंबर देना अनिवार्य कर दिया गया है। इसके लिए राजधानी की जिला अदालत में दो सेंट्रल फाइलिंग काउंटर बनाए गए हैं। इसमें 20 से ज्यादा न्यायिक कर्मचारियों को ट्रेनिंग देकर सेंट्रल फाइलिंग सिस्टम के लिए तैयार किया गया है। अदालत के मुख्य प्रवेश द्वार के दोनों तरफ दो हॉल में सेंट्रल फाइलिंग काउंटर बनाए गए हैं।
क्यों लागू किया जा रहा है सेंट्रल फाइलिंग सिस्टम
धीरेे-धीरे इस सिस्टम के जरिए अदालत में पेश होने वाले हर मामला की जानकारी के साथ ही पक्षकारों के आधार नंबर के आधार पर उनसे संबंधित सभी जानकारी एक जगह इकट्ठा हो जाएगी। जिन लोगों के खिलाफ हत्या, लूट, डकैती, चोरी, धोखाधड़ी, मारपीट, शिकार, मोटर दुर्घटना से संबंधित मामले, चैक बाउंस के मामले, दहेज प्रताड़ना और दहेज हत्या जैसे अन्य गंभीर अपराधों से संबंधित लोगों की जानकारी उनके आधार नंबर से आसानी से पता लग जाएगी। किस व्यक्ति के खिलाफ कुल कितने अपराध लंबित हैं और कितने अपराधों में वह फरार चल रहा है, इसकी पूरी जानकारी सिस्टम पर मौजूद रहेगी। इससे अपराध करने वाले व्यक्ति पर अदालतें लगाम लगा सकेगी।
शुरुआत में आ रहीं दिक्कतें
सेंट्रल फाइलिंग सिस्टम के लागू करने से शुरूआत में दिक्कतें आ रहीं है। आम तौर पर सीधे अदालत में पेश होने वाले मामले अब सेंट्रल फाइलिंग सिस्टम के जरिए ही दर्ज किए जा रहें हैं। इससे वकीलों और पक्षकारों को दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। क्योंकि यह सिस्टम एक दम नया है इसलिए इसे व्यवहार में लाने में थोड़ा वक्त लगना लाजिमी है।