भोपाल। प्रदेश कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता केके मिश्रा ने सवाल उठाया है कि चित्रकूट में 10 सितम्बर में हुए सीएम शिवराज सिंह के राजनैतिक प्रवास में एसपी लोकायुक्त भोपाल क्या कर रहे थे। मिश्रा ने एसपी लोकायुक्त, भोपाल श्री राजेश मिश्रा की मौजूदगी एवं उनके साथ कदमताल करने पर मुख्यमंत्री और एसपी लोकायुक्त दोनों को ही कटघरे में खड़ा किया है। उन्होंने कहा है कि राजेश मिश्रा मुख्यमंत्री के हर राजनैतिक प्रवास और उनके शासकीय आवास पर अपनी सेवाऐं देते हुए दिखाई देते हैं, आखिरकार इसका कारण क्या है?
श्री मिश्रा ने कहा है कि लोकायुक्त संगठन सरकार के अधीन न होकर एक स्वायत्त विधिक संस्था है, जो राज्य सरकार के नियंत्रण की परिधि से बाहर है। जिसका काम भ्रष्टाचार को थामना और भ्रष्टाचारियों को कानून से शासित कर उन्हें बेनकाब करना है। ऐसे में लोकायुक्त एसपी, भोपाल, जिन्हें भ्रष्टाचारियों को पकड़ने की विधिक जिम्मेदारी है। मुख्यमंत्री की ऐसी निजी सेवाओं के पीछे उनके नैतिक दायित्व और व्यक्तिगत् राजनैतिक चाकरी को कौन सी परिभाषा दी जानी चाहिए?
श्री मिश्रा ने कहा कि चित्रकूट के सतना जिले में एक भ्रष्टतम व संपन्न सिंहस्थ महाकुंभ में उत्कृष्ट सेवाओं के एवज में मुख्यमंत्री के हाथों सम्मान प्राप्त करने वाले मुख्यमंत्री के चहेते नगर निगम आयुक्त सुरेन्द्र कथूरिया, जिन्हें स्थानीय लोकायुक्त संगठन ने 50 लाख रूपयों की रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ा है, क्या उनकी परोक्ष-अपरोक्ष सहायता करने के लिए तो मुख्यमंत्री के साथ मिश्रा की यह यात्रा तो नहीं थी? यदि नहीं तो मिश्रा ने क्या अपना मुख्यालय छोड़ने की अनुमति प्रभारी लोकायुक्त महोदय से ली थी, वे वहां कैसे, क्यों, किसलिए और किस हैसियत से गए, सार्वजनिक होना चाहिए?
श्री मिश्रा ने कहा है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री एक ओर भ्रष्टाचार को लेकर प्रदेश में ‘‘जीरो टालरेंस’’ और कर्मचारियों-अधिकारियों को ‘‘उल्टा लटकाने’’ का राजनैतिक शाब्दिक स्वांग रच रहे हैं, वहीं भ्रष्टाचारियों को पकड़ने वाली स्वायत्त एवं विधिक संस्था के अधिकारी उनकी राजनैतिक चाकरी में सार्वजनिक तौर पर सामने आ रहे हों, तब उल्टा किसे लटकाया जाना चाहिए?