नई दिल्ली। देश के विभिन्न राज्यों में पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों को कंट्रोल करने के लिए पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने एक बार फिर पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के दायरे में लाने की बात कही है। बता दें कि मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में पेट्रोल-डीजल पर टैक्स इतना अधिक हो गया है कि टेक्स की रकम पेट्रोल-डीजल की मूल कीमत से ज्यादा निकल गई है। मप्र में तो शिवराज सिंह सरकार ने पेट्रोल-डीजल पर पारंपरिक टैक्सों के अलावा फिक्स टैक्स भी थोप रखा है। एक टैक्स कीमत के अनुसार कम ज्यादा होता है जबकि दूसरा यथावत बना रहता है। इस तरह डबल टैक्स वसूला जा रहा है।
धर्मेंद्र प्रधान ने शुक्रवार को मीडिया से बातचीत में कहा कि 'राज्य और केंद्र सरकार को आम सहमति के साथ पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के दायरे में लाना चाहिए।'बता दें कि इससे पहले पेट्रोलियम मंत्री ने कहा था कि 'जीएसटी से ही कीमतों पर लगाम लग सकती है। इस सिलसिले में वित्त मंत्री राज्य सरकारों से बात भी कर चुके हैं। अगर जीएसटी के अतंगर्त इसे लाया जाता है तो कीमतों का पूर्वानुमान किया जाना संभव है। हमने जीएसटी काउंसिल से मांग की है कि पेट्रोलियम को भी जीएसटी के तहत लाया जाए, जिसे आम लोगों को राहत मिल सके।'
जीएसटी लगने से पेट्रोल-डीजल के दाम रह जाएंगे आधे
अगर पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाया जाता है तो अभी 80 रुपये में बिकने वाला पेट्रोल 40 रुपये में मिलने लगेगा। लेकिन राज्यों को इसकी बिक्री से सबसे ज्यादा कमाई होती है। अगर राज्य पेट्रो उत्पादों को जीएसटी के दायरे में करने पर सहमत हो जाते हैं तो फिर पूरे देश में पेट्रोल-डीजल के रेट न केवल सस्ते हो जाएंगे बल्कि एक समान होने की उम्मीद भी है।