इंदौर। मध्यप्रदेश में पेट्रोल-डीजल पर लग रहे डबल टैक्स के खिलाफ विपक्षी पार्टियां औपचारिक विरोध दर्ज करा रहीं हैं और जनता चुप है परंतु अब पेट्रोल डीलर्स एसोसिएशन ने इसके खिलाफ लामबंदी शुरू कर दी है। दरअसल, पेट्रोल-डीजल पर डबल टैक्स के कारण उन्हे लाखों का घाटा हो रहा है। मध्यप्रदेश की सीमाएं महाराष्ट्र, उत्तरप्रदेश, राजस्थान एवं छत्तीसगढ़ से मिलतीं हैं। सभी राज्यों में पेट्रोल-डीजल की कीमत मप्र से कम है अत: लोग दूसरे राज्यों से पेट्रोल-डीजल खरीद रहे हैं।
घाटे से परेशान प्रदेशभर के डीलर्स 23 सितंबर को भोपाल में बैठक करेंगे। डीलर्स का कहना है कि ज्यादा टैक्स लेकर भी प्रदेश को फायदा नहीं है, क्योंकि सस्ता ईंधन बेचने वाले पड़ोसी राज्य ईंधन से मध्य प्रदेश के मुकाबले दोगुना राजस्व अर्जित कर रहे हैं। सरकार इस पक्ष को अनदेखा कर राज्य का घाटा ही कर रही। डीलर्स दो अक्टूबर से आंदोलन का मन बना रहे हैं। इस महीने की शुरुआत में डीलर्स का प्रतिनिधि मंडल भोपाल में प्रदेश के वित्त मंत्री जयंत मलैया से मिला था। उन्होंने उस वक्त तो टैक्स पर पुनर्विचार का आश्वासन दिया, लेकिन बाद में सरकार का रुख पलट गया।
नुकसान में प्रदेश
इंदौर पेट्रोल डीलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष राजेंद्र सिंह वासु के मुताबिक प्रदेश में ईंधन पर लगने वाले टैक्स से साल में 8900 करोड़ रुपए की आय अर्जित हुई है। दूसरी ओर उत्तर प्रदेश पेट्रोल डीजल के टैक्स से सालाना 16000 करोड़ रुपए कमा रहा है। इसी तरह महाराष्ट्र 20 हजार करोड़ सालाना अर्जित कर रहा, जबकि दोनों प्रदेश हमसे सस्ता ईंधन बेच रहे हैं। इस तरह वे सस्ता ईंधन बेचकर न केवल जनता को राहत दे रहे, बल्कि राज्य का फायदा भी कर रहे हैं। सरकार को यह समझना चाहिए कि कम टैक्स के कारण ईंधन सस्ता होगा तो खपत बढ़ेगी और इससे राजस्व बढ़ेगा।
सरकार की दलील
इधर सरकार और जिम्मेदार विभाग दावा कर रहे हैं कि सालभर से सरकार ने डीजल-पेट्रोल पर लगने वाले वैट में किसी तरह की वृद्धि नहीं की है। असलियत यह है कि सरकार ने बजाय वैट में वृद्धि करने के बीते समय ईंधन पर लगने वाले अतिरिक्त टैक्स में बढ़ोतरी की थी। आठ महीने पहले सरकार ने वैट के अलावा प्रति लीटर लगने वाले अतिरिक्त कर को बढ़ा दिया। पेट्रोल पर यह 4 रुपए प्रति लीटर फिक्स है।