डेस्क। क्रिकेट के दीवाने लंबे समय से कपिल देव जैस किसी आॅलराउंडर की तलाश कर रहे थे जो केवल खानापूर्ति के लिए आॅलराउंडर ना हो बल्कि बेटिंग, बॉलिंग और फील्डिंग तीनों में परफेक्ट हो। इंदौर में हुए भारत आस्ट्रेलिया वनडे के बाद यह मान लिया गया है कि भारत को कपिल देव का एडवांस एडिशन मिल गया है। अब यह टिकेगा और भारत को गर्व दिलाएगा। मजेदार यह है कि यह किसी भी देश, पिच, मौसम और हालात में प्रदर्शन कर रहा है। इस खिलाड़ी ने अपने रिजर्वेशंस नहीं रखे हैं।
इंदौर के पत्रकार अभिषेक त्रिपाठी लिखते हैं: चाहे चैंपियंस ट्रॉफी के फाइनल में पाकिस्तान के खिलाफ खेली गई उनकी आत्मविश्वास भरी पारी हो या इंदौर के होल्कर स्टेडियम में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ तीसरे वनडे में उनकी बेहतरीन बल्लेबाजी, हार्दिक पांड्या ने हर मैच, हर मोड़ और हर जगह पर खुद को साबित किया। यही कारण है कि वह इतने कम समय में विराट कोहली और महेंद्र सिंह धौनी ही नहीं, बल्कि भारतीय क्रिकेट प्रशंसकों के नए स्टार बन गए हैं। रविवार को जब वह होल्कर स्टेडियम में चौथे नंबर पर बल्लेबाजी करने उतरे तो उनकी हौसला अफजाई के लिए कोहली और धौनी से ज्यादा शोर सुनाई दिया।
उन्होंने भारतीय प्रशंसकों के अंदर यह भरोसा पैदा कर दिया है कि जब तक वह क्रीज पर हैं तब तक कोई भी मैच टीम इंडिया की पकड़ से दूर नहीं है। भारत के पास ऐसे ऑलराउंडर तो थे जो बल्लेबाजी के साथ स्पिन गेंदबाजी कर लेते हों, लेकिन बहुत वर्षों से एक ऐसे ऑलराउंडर की जरूरत महसूस की जा रही थी जो तेज गेंदबाजी के साथ अच्छी बल्लेबाजी भी करता हो। पांड्या ने उस कमी को पूरा कर दिया है। अच्छी बात यह है कि वह इंग्लैंड की पिचों से लेकर भारत की पाटा पिचों पर भी विकेट लेने में माहिर हैं। यही नहीं उन्हें चाहे चौथे नंबर पर बल्लेबाजी कराओ या मैच फिनिशर के तौर पर इस्तेमाल करो, वह हर जगह पर रन बनाते हैं। यही कारण है कि कप्तान कोहली तीसरा वनडे खत्म होने के बाद यह कहने से नहीं चूके कि पांड्या हमारी टीम का स्टार है। वह गेंद, बल्ले और क्षेत्ररक्षण में योगदान देता है।
छक्के मारने के मास्टर
हार्दिक छक्के मारने के मास्टर हैं। उन्होंने तीसरे वनडे में 72 गेंदों पर चार छक्कों के साथ 78 रनों की पारी खेली। इस साल वह अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में चार बार छक्कों की हैट्रिक लगा चुके हैं। जब उनसे इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि छक्के तो मैं पहले भी मारता रहा हूं। अब अंतर केवल इतना है कि मैं उच्च स्तर की क्रिकेट में ऐसा कर रहा हूं। असल में मैं बचपन से ही छक्के लगाता रहा हूं। आपको लगता है कि पाकिस्तान के खिलाफ खेले गए मैच से मेरा खेल बदला, आप ऐसा मानते हैं तो मुझे कोई दिक्कत नहीं।
पाकिस्तान के खिलाफ ओवल में खेली गई 76 रन की पारी से उनके करियर में बदलाव के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि इससे पहले आइपीएल में भी मेरा प्रदर्शन अच्छा रहा था। उससे पहले के सत्र में मैं अच्छा नहीं खेल पाया था, लेकिन मैंने कड़ी मेहनत की जिसके दम पर मैं वापसी कर पाया। मैं हमेशा खुद को प्रेरित करता हूं। यह बेहद महत्वपूर्ण होता है। क्रिकेट में आत्मविश्वास हमेशा मायने रखता है और मुझे खुद पर विश्वास है कि मैं गेंद को मैदान के बाहर मार सकता हूं।
पांड्या ने इस साल पाकिस्तान के खिलाफ चैंपियंस ट्रॉफी के दो मैचों में इमाद वसीम व शादाब खान और श्रीलंका के खिलाफ कैंडी टेस्ट मैच में पुष्पकुमार की लगातार तीन गेंदों पर छक्के लगाए थे। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ वर्तमान सीरीज के चेन्नई में खेले गए मैच में उन्होंने लेग स्पिनर एडम जांपा के खिलाफ भी यह कारनामा किया था।
प्लानिंग के साथ करता हूं बॉल की पिटाई
उन्होंने कहा कि यह सिर्फ हिटिंग से नहीं जुड़ा है। खेल को समझना महत्वपूर्ण होता है। उस समय मुझे लगा कि जांपा गेंदबाजी कर रहे हैं और मैं जानता था कि मैं उस पर किसी भी समय छक्का जड़ सकता हूं, इसलिए मैंने सातवें ओवर तक इंतजार किया और उस एक ओवर ने उस मैच के समीकरण बदल दिए थे। उन्होंने कहा कि यह सकारात्मक सोच और खुद पर भरोसे से जुड़ा है। अगर मुझे लगता है कि छक्के लगाना चाहिए तो मैं खेल का आकलन करता हूं और फिर लंबे शॉट खेलता हूं।
तीसरे वनडे में चौथे नंबर पर बल्लेबाजी के लिए उतरने पर उन्होंने कहा कि टीम प्रबंधन की रणनीति स्पिनरों पर हावी होने की थी। मुझसे कहा गया था कि अपना नैसर्गिक खेल खेलो। निश्चित तौर पर रणनीति स्पिनरों को निशाना बनाने की थी और हम इसमें सफल रहे। मैं किस नंबर पर बल्लेबाजी करता हूं इससे कोई अंतर नहीं पड़ता है। इसे चुनौती के रूप में देखने के बजाय मैं टीम के लिए कुछ खास करने के मौके के रूप में देखता हूं। जब मुझसे कहा गया कि मुझे चौथे नंबर पर बल्लेबाजी के लिए जाना है तो बहुत खुश हुआ। पहली बार मैंने वनडे में इतनी अधिक गेंदें खेलीं। इसलिए यह शानदार रहा।
गेंदबाजी के लिए पिच और बल्लेबाज दोनों को समझना पड़ता है
पांड्या ने होल्कर स्टेडियम की पाटा पिच पर खूबसूरत ऑफ कटर के जरिये डेविड वार्नर का विकेट लिया। उन्होंने कहा कि मैं तेज ऑफ कटर करने का प्रयास कर रहा था। मैंने जब उन्हें (वार्नर को) पहले धीमी गेंद की थी तो समझ गया था कि ऑफ कटर की जा सकती है। विकेट काफी सूखा था और कुछ अलग हटकर करने से ही विकेट मिलता। मैंने परिस्थिति का अच्छा आकलन किया और विकेट लिया। उन्होंने भुवी-बुमराह के साथ गेंदबाजी करने को लेकर कहा कि हम एक-दूसरे से बात करते रहते हैं और विकेट को देखकर गेंदबाजी करते हैं। वे दोनों बेजोड़ हैं। वे शुरुआत और डेथ ओवरों में शानदार गेंदबाजी करते हैं। उनके साथ रहने से मेरा आत्मविश्वास बढ़ता है।