
हमारी पहचान सुपर पॉवर, तुम्हारी दहशतगर्द क्यों
सुषमा ने कहा, ''भारत और पाकिस्तान साथ-साथ आजाद हुए। हमारी पहचान आईटी और सुपर पावर के तौर पर बनी लेकिन अब्बासी साहब! (पाक पीएम), पाकिस्तान की पहचान दहशतगर्त देश के तौर पर क्यों बनी। इसकी एक ही वजह है कि भारत ने पाक की आतंकवाद की चुनौतियों का सामना करते हुए भी अंदरूनी विकास की गति नहीं रोकी।
हमने दुनिया को इंजानियर और डॉक्टर दिए, तुमने आतंकवादी
हमने आईआईटी, आईआईएम बनाए। हमने एम्स जैसे अस्पताल बनाए। दुनिया को इंजानियर और डॉक्टर दिए लेकिन पाकिस्तान वालो आपने क्या बनाया? आपने लश्कर-ए-तैयबा बनाया, जैश-ए-मोहम्मद बनाया, आपने हक्कानी नेटवर्क बनाया। हिज्बुल-मुजाहिदीन बनाया। आतंकी ठिकाने और टेररिस्ट कैम्प बनाए। हमने स्कॉलर्स, साइंटिस्ट, इंजीनियर्स पैदा किए। पाकिस्तान वालो! आपने क्या पैदा किया? आपने दहशतगर्द और आतंकवादी पैदा किए। डॉक्टर्स मरते हुए लोगों की जिंदगी बचाते हैं और जिहादी जिंदा लोगों को मार डालते हैं लेकिन आपके जिहादी संगठन सिर्फ भारत के लोगों को नहीं मारे। वे हमारे पड़ोसी अफगानिस्तान और बांग्लादेश के लोगों को भी मार रहे हैं।
तुम्हारे भाषण पर लोग कह रहे थे 'लुक हू इज टॉकिंग'
पाकिस्तान के पीएम शाहिद खाकान अब्बासी ने जब कहा कि हम तो आतंकवाद से लड़ रहे हैं। तब यहां बैठे लोग कह रहे थे जब पाक के वजीर-ए-आजम बोल रहे थे, तब लोग कह रहे थे- लुक हू इज टॉकिंग। हम तो गरीबी से लड़ रहे हैं। लेकिन हमारा पड़ोसी देश पाकिस्तान हमसे लड़ रहा है। परसों इसी मंच से बोलते हुए पाक के वजीर-ए-आजम ने भारत पर तरह-तरह के इल्जाम लगाए। हमें स्टेट स्पांसर्ड टैररिज्म फैलाने का आरोप लगाया। जब वे बोल रहे थे तो लोग कह रहे थे कि लुक हू इज टॉकिंग। जो आतंक फैलाता है, वो हमें पाठ पढ़ा रहा था।
मोदी तो दोस्ती का हाथ लेकर आए थे, कहानी बदरंग किसने की
जिन्ना ने दोस्ती की विरासत दी या नहीं दी, ये तो इतिहास जानता है लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दोस्ती का हाथ जरूर बढ़ाया। लेकिन कहानी बदरंग किसने की, ये आप बताएं। क्या पाक को याद नहीं कि शिमला समझौते के तहत दोनों देशों ने तय किया था हम किसी तीसरे का दखल बर्दाश्त नहीं करेंगे। पाकिस्तान के सियासतदानों को याद तो सबकुछ है लेकिन वे उसे भूल जाने का नाटक करते हैं।
आतंकियों की नहीं अवाम की तरक्की के बारे में सोचो
पाकिस्तान वालों जो पैसा आतंकियों की मदद के लिए खर्च कर रहे हो, उसे अवाम और मुल्क की तरक्की के लिए करो तो दुनिया का आतंकवाद से पीछा छूट जाएगा और आपके मुल्क का विकास हो सकेगा। बातचीत के लिए 9 दिसंबर 2015 को हार्ट ऑफ एशिया सम्मेलन में जब मैं इस्लामाबाद गई तो नए सिरे से कॉम्प्रिहेंसिव बायलैटरल डायलॉग शुरू करने की बात हुई थी। बायलैटरल शब्द जानबूझकर डाला गया था लेकिन वो सिलसिला आगे क्यों नहीं बढ़ा, इसके जवाबदेह आप हैं अब्बासी साहब मैं नहीं।