मोदी की बात ने मीनाक्षी को 12 लाख 50 हजार दिलाए

Bhopal Samachar
भोपाल। 7 अक्टूबर की सुबह हर अखबार में मीनाक्षी जैन के चर्च होंगे। मात्र 10वीं तक हिंदी मीडियम से पढ़ीं मीनाक्षी जैन ने कौन बनेगा करोड़पति में 50 लाख रुपए जीत लिए हैं। खास बात यह है कि वो एक सिंपल हाउसवाइफ हैं और उन्होंने अपने बच्चों को पढ़ाते पढ़ाते फर्राटेदार अंग्रेजी सीख ली। जैन समाज अपनी बेटी पर गर्व कर रहा है। इन सबके बीच एक खास बात और है कि मीनाक्षी को इस खेल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यक्रम 'मन की बात' ने 12 लाख 50 हजार का फायदा दिलाया। 

मीनाक्षी 12 लाख 50 हजार रुपए जीत चुकीं थीं। कम्प्यूटरजी ने उनके सामने 25 लाख रुपए के लिए एक सवाल पेश किया। सवाल था 'Quit India' यानी भारत छोड़ो का नारा किसने दिया। सवाल मुश्किल था क्योंकि बहुत से लोग यही समझते हैं कि देश के सारे लोकप्रिय नारे उन्हीं स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों ने दिए हैं जिनकी तस्वीरें सरकारी दफ्तरों की दीवारों पर मिलतीं हैं परंतु यहां ऐसा नहीं था। यह नारा एक ऐसे व्यक्ति ने दिया था जिसे उसके देश के लोग ठीक से पहचानते ही नहीं। मीनाक्षी के पास लाइफ लाइन नहीं थी। सवाल सामने आते ही लगा कि मीनाक्षी कंफ्यूज हो जाएंगी। वो क्विट कर सकतीं हैं परंतु उन्होंने तपाक से जवाब दिया, 'यूसुफ मेहरअली' साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात में उनका नाम बताया था। तो इस तरह मोदी के मन की बात ने मीनाक्षी को 12 लाख 50 हजार से 25 लाख पर पहुंचा दिया। इसके बाद एक अन्य सवाल का जवाब देकर वो 50 लाख पर पहुंची और बिना लालच किए क्विट कर गईं। 

मोदी ने कब कहा था
दिनांक 30 जुलाई 2017 रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुबह 11 बजे 34वीं बार 'मन की बात' के जरिए देशवासियों को संबोधित किया। पीएम ने भारत छोड़ो आंदोलन के 75 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में इस साल 15 अगस्त को संकल्प दिवस के रूप में मनाने की अपील की। मन की बात में पीएम ने भारत छोड़ो का नारा देने वाले स्वतंत्रता सेनानी युसूफ मेहर अली को याद किया। पीएम ने गंदगी भारत छोड़ो, गरीबी भारत छोड़ो, जातिवाद भारत छोड़ो, संप्रदायवाद भारत छोड़ो का नारा दिया।

कौन थे यूसूफ मेहर अली
23 सितंबर 1903 को जन्मे युसूफ मेहर अली भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष के अग्रणी नेताओं में थे। आजादी के आंदोलन के दौरान वह 8 बार जेल भेजे गए। 1942 में जेल में बंद होने के बावजूद वह बंबई (अब मुंबई) के मेयर चुने गए थे। वह नेशनल मिलिशिया और बॉम्बे यूथ लीग के संस्थापक थे। उन्होंने किसानों और कामगारों के आंदोलनों में भी अहम भूमिका निभाई। भारत छोड़ा आंदोलन के दौरान वह भूमिगत भी रहे और आंदोलन के बड़े नेताओं में रहे।

युसुफ मेहर अली युवाओं, कामगारों और व्यवयासियों के बीच काफी लोकप्रिय नेता थे। उनकी लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जब 1940 में उन्हें अरेस्ट किया तो उनकी गिरफ्तारी के विरोध में बॉम्बे के कई बाजारों में कोई कारोबार नहीं हुआ। युसुफ मेहरअली ने कई किताबे भी लिखीं जिनमें - द प्राइस ऑफ लिबर्टी,  ए ट्रिप टू पाकिस्तान शामिल हैं।

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