जबलपुर। मध्यप्रदेश शासन के उत्पाद सांची का शुद्ध घी घटिया निकला। चौंकाने वाली बात तो यह है कि जब उपभोक्ता ने इसकी शिकायत की तो किसी ने ध्यान ही नहीं दिया। उसने लीगल नोटिस भेजा परंतु सांची प्रबंधन ने उसका जवाब भी नहीं दिया। मामला जिला उपभोक्ता फोरम पहुंचा। कोर्ट के आदेश पर घटिया घी की जांच कराई गई। जांच में स्पष्ट हुआ कि घी घटिया स्तर का है। कोर्ट ने घनश्याम किराना स्टार्स गढ़ा और सांची के ऊपर जुर्माना लगाया। इसके तहत गढ़ा निवासी आरके गुप्ता को हुई मानसिक पीड़ा के एवज में 12 हजार रुपए का भुगतान एक माह के भीतर करने का आदेश सुनाया गया है।
कंज्यूमर फोरम के चेयरमैन ह्दयेश और सदस्य एसएन खरे व सुषमा पटैल की न्यायपीठ के समक्ष अधिवक्ता मनीष रेजा ने उपभोक्ता का पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि सांची जैसे शासकीय सहकारी प्रोडक्ट में खामी चिंता का विषय है। 30 जून 2015 को सांची शुद्ध घी खरीदा गया। जब उपभोक्ता ने घर ले जाकर पैकेट खोला तो उसे संदेहास्पद लाल और काले रंग का पदार्थ उतराता दिखाई दिया। लिहाजा, पहले दुकानदार से शिकायत की गई फिर जबलपुर सहकारी दुग्ध संघ कार्यालय में शिकायत प्रस्तुत की गई लेकिन इन दोनों कदमों का कोई ठोस नतीजा सामने नहीं आया।
प्रयोगशाला भेजा सेम्पल
उपभोक्ता ने अपने अगले कदम के तहत लीगल नोटिस भेजा। उसका भी नतीजा नदारद रहने पर फोरम की शरण में चला आया। यहां फोरम से हस्तक्षेप से सांची शुद्ध घी का नमूना जांच के लिए खाद्य विश्लेषक, राज्य खाद्य प्रयोगशाला, खाद्य एवं औषधि प्रशासन भोपाल भेजा गया। वहां जांच के उपरांत रिपोर्ट में पाया गया कि घी में सस्पेंडेट मैटर शामिल था। इससे साफ है कि घी अमानक स्तर का था। चूंकि अमानक स्तर का घी बेचना सेवा में कमी है, अतः दण्ड निर्धारित किया गया।