2005 से है धंधे में, नोटबंदी के बाद तो नकली नोटों की कंपनी खोल ली

Bhopal Samachar
इंदौर। यहां पुलिस ने नकली नोट छापने वाले एक ऐसे बदमाश को गिरफ्तार किया है जो 2005 से इस धंधे में है। जब जब पकड़ा गया, लौटकर कारोबार और ज्यादा बढ़ाता चला गया। नोटबंदी के बाद से तो उसने नकली नोटों की कंपनी खोल ली थी। कमीशन ऐजेंट नियुक्त कर दिए थे। गुजरात तक से आर्डर ले रहा था। आप जानकार चौंक जाएंगे कि यह बदमाशा मात्र 10वीं तक ही पढ़ा लिखा है। पुलिस को इसके बारे में अब भी पता नहीं चलता यदि उसकी पत्नी उससे गुस्सा ना हो गई होती। 

एएसपी (क्राइम) अमरेंद्रसिंह के मुताबिक आरोपी नरेश पवार (36) को विजय नगर पुलिस ने वर्ष 2012 में साथी शिवेंद्र उर्फ बंटी के साथ 40 हजार के जाली नोटों के साथ गिरफ्तार किया था। वर्ष 2014 में वह जेल से छूटा और पत्नी रूपाली से विवाद हो गया। आरोपी ने अनिता नामक महिला से दूसरी शादी की और पीथमपुर रहने लगा। उसने पुश्तैनी प्रॉपर्टी के सौदे करना शुरू कर दिए। सूत्रों के मुताबिक नाराज रूपाली ने क्राइम ब्रांच में पदस्थ एक पुलिसकर्मी को नरेश के बारे में जानकारी दे दी। इस पर 10 दिन तक नरेश की रेकी कर उसे नोट छापते हुए पकड़ लिया॥

ऐसे ​आया आइडिया
आरोपी नरेश ने बताया कि वह 10वीं तक पढ़ा है। 12 साल पूर्व सिल्वर मॉल (आरएनटी मार्ग) स्थित एक फोटोकॉपी की दुकान में नौकरी करता था। इस दौरान एचडीएफसी बैंक में उसका आना-जाना लगा रहता था। एक बैंक अफसर से उसकी दोस्ती हो गई। ठिठौली करते हुए एक दिन उसने 500 रुपए के नोट का प्रिंट आउट निकालकर दिखा दिया। यहीं से उसे नोट छापने का विचार आया। वर्ष 2005 में उसने नौकरी छोड़ दी और नोट छापना शुरू कर दिए।

जब जब पकड़ा और ज्यादा बढ़ाता गया कारोबार 
कुछ दिन बाद एमआईजी पुलिस ने 40 हजार के नोटों के साथ गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। कोर्ट ने सात साल की सजा सुनाई, लेकिन वह साढ़े तीन साल बाद छूट गया। फिर उसने पिता बलवंत और भाई शैलेंद्र के साथ नोट छापना शुरू कर दिए। हीरानगर पुलिस ने तीनों को 1.10 लाख रुपए के साथ पकड़ लिया। कुछ दिन बाद वह जमानत पर छूटा और उसने फिर वही तरीका अपनाया। इस बार विजय नगर पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया था। जेल में रहते हुए राजेश माली और चंद्रशेखर परमार से दोस्ती कर ली। तीनों ने बाहर निकलकर जाली नोट छापने का षड्यंत्र रचा और पीथमपुर में एकत्रित हुए। पुलिस की नजरों से बचने के लिए नरेश फैक्टरियों में मजदूर सप्लाई करने लगा। इसी दौरान अनिता से शादी कर ली। वर्ष 2014 में उसने रूम किराए पर लिया और नोटों की छपाई शुरू कर दी। उसका दावा था कि 'जब भी शहर में नकली नोट मिलें, समझ लेना वह बाहर आ गया।'

गुजरात से मिला नोटों का ऑर्डर, सूरत में डालना चाहते थे ब्रांच
एएसपी के मुताबिक आरोपी ने रामेश्वर उर्फ राजू के जरिए पीथमपुर के अभिषेक (फरार) को नोट खपाने का जिम्मा सौंपा था। अभिषेक ने सूरत के धनराज (ट्रांसपोर्टर) से संपर्क किया और लाखों रुपए खपा दिए। औद्योगिक क्षेत्र होने से किसी को शक भी नहीं हुआ। धनराज ने उन्हें सूरत में एक ब्रांच खोलने का ऑफर दिया। आरोपी जाली नोट लेकर सूरत पहुंचे और कई दिनों तक रेकी की। बोलचाल के कारण उन पर शक होने लगा तो आरोपी वहां से लौट आए। पुलिस अभिषेक और धनराज की तलाश कर रही है। अभिषेक एक फैक्टरी में काम करता है।

किसान व ऑटो चालक भी बने एजेंट
आरोपी रामेश्वर मूलतः गिरौढी, देपालपुर का रहने वाला है। उसका फोटो स्टूडियो है। फिलहाल दूसरी पत्नी के साथ बेटमा में रहता था। 10वीं तक पढ़ा रामेश्वर मार्केट में नोट चलाता था। नरेंद्र उर्फ नंदू किसान है। उसे अभिषेक ने नरेश से मिलवाया और गिरोह में शामिल हो गया। वह भी कलाली और पेट्रोल पंप पर नोट चलाता था। आरोपी राजेश ऑटो चालक है। 8वीं तक पढ़े राजेश की नरेश से जेल में मुलाकात हुई थी। उसे भी जाली नोट खपाने का जिम्मा सौंपा था।

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