भोपाल। अब जिन कर्मचारियों की संविदा अाधार पर नियुक्ति होगी, उन्हें जीवन बीमा पेंशन या नेशनल पेंशन स्कीम के तहत ही पेंशन लेना पड़ेगा। इसके लिए पहले उन्हें बाकायदा प्रमाण पत्र देना पड़ेगा। यह पेंशन उन्हें मिलने वाले वेतन में से दस फीसदी बतौर पेंशन फंड हर महीने काटा जाएगा। सरकार ने संविदा कर्मचारी नियम 2017 के बारे में गजट नोटिफिकेशन जारी किया है। इसमें संविदा कर्मचारियों की तीन श्रेणियां बताई गई हैं।
पहले सामान्य संविदा कर्मचारी, दूसरे रिटायर होने वाले कर्मचारी, तीसरे विशेष यानी मुख्यमंत्री या मंत्री द्वारा नियुक्त संविदा कर्मचारी होंगे।
दूसरी श्रेणी के यानी रिटायरमेंट के बाद संविदा पर काम करने वालों को वे सभी सुविधाएं मकान किराया, मेडिकल रीइंबर्समेंट वगैरह दी जाएंगी, जाे उन्हें नियमित कर्मचारी के तौर पर मिल रही थीं।
तीसरी श्रेणी के यानी विशेष संविदा कर्मचारियों को प्रचलित वेतनमान और सभी भत्ते मिलेंगे। मौजूदा संविदा कर्मचारियों को इन नियमों से कोई फायदा नहीं हो रहा है। इन्हें एक्सग्रेसिया यानी मृत्यु के उपरांत होने वाले खर्च और ग्रेच्युटी नहीं मिलेगी।
नियम बदलकर पहुंचाया नुकसान
महासंघ के प्रदेशाध्यक्ष रमेश राठौर ने सरकार पर वादा खिलाफी का आरोप लगाया। उनका कहना है कि संविदा कर्मचारियों को लेकर जीएडी ने 30 साल पहले 4 अप्रैल 1987 और 17 साल पहले 3 अगस्त 2000 को आदेश जारी किए थे।
इसमें यह जिक्र था कि संविदा कर्मचारियों को नियमित कर्मचारियों की तरह मूल न्यूनतम वेतन, उस पर वर्तमान में प्रचलित महंगाई भत्ता, अर्जित अवकाश, मेडिकल रीइंबर्समेंट, मकान किराया, यात्रा भत्ता देय होगा। इस पर तो अमल नहीं किया, उल्टे नियम बदलकर नुकसान ही पहुंचाया। यदि कर्मचारी विरोधी नियम नहीं बदले तो दीपावली बाद बड़ा आंदोलन किया जाएगा।