इस्लामाबाद। चुनाव आयोग ने बड़ी कार्रवाई की है। प्रधानमंत्री पद से बेदखल किए गए नवाज शरीफ सहित 261 सांसदों और विधायकों को निलंबित कर दिया है। बताया जा रहा है कि ये सभी अपनी संपत्तियों की घोषणा करने में आनाकानी कर रहे थे। याद दिला दें कि पाकिस्तान में जनप्रतिनिधियों को हर साल अपनी व अपने पूरे परिवार की संपत्तियों का विवरण सार्वजनिक करना होता है।
द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की खबर में कहा गया है कि पाकिस्तानी निर्वाचन आयोग (ईसीपी) ने राष्ट्रीय और प्रांतीय विधानसभाओं और सीनेट के 261 सदस्यों को निलंबित कर दिया है। निलंबित सांसदों में नवाज शरीफ के दामाद और पाकिस्तान मुस्लिम लीग (एन) के सदस्य कैप्टन मुहम्मद सफदर, पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआइ) की नेशनल असेंबली की सदस्य (एमएनए) आयशा गुलालेई, धार्मिक मामले के मंत्री सरदार यूसुफ और नेशनल असेंबली की पूर्व अध्यक्ष फहमिदा मिर्जा भी शामिल हैं।
ईसीपी की अधिसूचना के आधार पर रिपोर्ट में कहा गया है, सात सीनेटरों, नेशनल असेंबली के 71 सदस्य, सिंध, खैबर-पख्तूनख्वा तथा बलूचिस्तान विधानसभाओं के क्रमश: 50, 38 व 11 सदस्यों को निलंबित किया गया है।
चुनाव आयोग ने संसद व विधानसभाओं के इन सदस्यों को अपनी, पत्नी या पति तथा आश्रितों की संपत्तियों और देनदारियों का ब्योरा 30 सितंबर तक जमा करने को कहा था लेकिन ऐसा करने में ये माननीय असफल रहे, इसलिए इन्हें निलंबित किया गया है।
चुनाव आयोग ने जन-प्रतिनिधित्व कानून अधिनियम (आरओपीए) की उपधारा 42ए के तहत यह कार्रवाई की है। यह उपधारा कहती है कि सभी सांसदों व विधायकों को हर साल अपनी सभी परिसंपत्तियों व देनदारियों का विवरण प्रदान करना होगा।
सैन्य तानाशाह परवेश मुशर्रफ के शासनकाल में यह कानून लाया गया था, ताकि बड़े पैमाने पर हुए भ्रष्टाचार की जांच हो सके। हालांकि अब तक यह अप्रभावी ही साबित हुआ है। निलंबित किए गए कई सांसदों ने इसे 'टूथलेस' या 'अप्रभावी' कहकर आलोचना की है, क्योंकि निर्वाचन आयोग को संपत्तियों का ब्योरा देकर कोई भी सांसद अपना निलंबन वापस करवा सकता है।