
सरकार 22 जुलाई को सातवां वेतनमान देने संबंधित निर्देश जारी कर चुकी है। इसके तहत जुलाई के वेतन के साथ सातवां वेतनमान मिलना था। इस तरह कर्मचारियों के मूल वेतन में 2050 रुपए से लेकर 19 हजार रुपए तक की बढ़ोत्तरी होनी है। जबकि 1 जनवरी 2016 से जून 2017 तक के एरियर्स की राशि पांच किश्तों में देने की बात कही है। पहली किश्त मई 2018 में मिलनी है। इसके लिए कर्मचारियों से ऑनलाइन विकल्प भरवाए गए।
फिर विभागवार मैनुअल जानकारी मांगी गई। उसके बाद से विभाग प्रमुखों ने कर्मचारियों के वेतन फिक्सेशन किए। प्रत्येक कर्मचारियों के वेतन संबंधित जानकारी इंट्रीग्रेटेड फाइनेंशियल मैनेजमेंट सिस्टम पर ऑनलाइन की जा रही है। इस पूरी प्रक्रिया में सर्वर साथ नहीं दे रहा है। बार-बार सिस्टम फेल हो रहा है। इसके पहले विभाग प्रमुखों ने फिक्सेशन में देरी की थी। इसके कारण सरकार की घोषणा के अनुरूप अगस्त में कर्मचारियों को सातवां वेतनमान नहीं मिला और न ही सितंबर के वेतन में यह लाभ मिल पाया। कर्मचारी जगत में इससे भारी आक्रोश है।
सिस्टम की सुस्ती का नतीजा
कर्मचारियों को उम्मीद थी कि दशहरा के पहले सातवां वेतनमान मिलेगा। लेकिन सरकारी सिस्टम में सुस्ती का नतीजा यह रहा है कि अभी तक लाभ नहीं मिला। सरकार को इस पर ध्यान देना होगा - सुधीर नायक, अध्यक्ष मंत्रालयीन कर्मचारी संघ
घोषणा करने से कुछ नहीं होगा
सरकार घोषणा करती है। उसका समय पर पालन नहीं होता। फिर चाहे कर्मचारियों को सातवां वेतनमान देने की बात हो या उनकी कोई दूसरी मांगों के निराकरण करने का मामला हो - जितेंद्र सिंह, अध्यक्ष कर्मचारी संयुक्त मोर्चा
मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है
डेढ़ साल की देरी के बाद कर्मचारियों में उम्मीद थी कि दशहरा के पहले उन्हें सातवें वेतनमान का लाभ मिल जाएगा। लेकिन सरकारी सिस्टम की सुस्ती के कारण दीपावली में भी नया वेतनमान नहीं मिलेगा। इससे कर्मचारियों का नुकसान हो रहा है। इसके लिए मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है
उमाशंकर तिवारी,
प्रदेश सचिव मप्र तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ