आनंद ताम्रकार/बालाघाट। कृषिमंत्री गौरीशंकर बिसेन के जिले में कृषि विभाग की मिली भगत से एपी की एक कंपनी आंध्रप्रदेश के लिए तैयार किया गया धान का बीच बालाघाट में बेच गई। अब किसान परेशान हैं, क्योंकि उनकी धान में दाना ही नहीं आ रहा। कंपनी के वैज्ञानिकों ने प्रमाणित किया है कि यह बीज आंधप्रदेश की जलवायु के लिए तैयार किया गया था। सवाल यह है कि इसे बालाघाट में बिना परीक्षण विक्रय की अनुमति क्यों दे दी गई। अधिकारियों ने कितने पैसे लेकर किसानों की किस्मत का सौदा कर डाला।
प्रदेश का सर्वाधिक धान उत्पादक बालाघाट जिला इन दिनों अमानक स्तर के बीज, खाद तथा कीटनाशकों के उत्पादक निर्माताओं के लिये ऐसा हब बनकर रह गया है जहां वे आसानी से अपने घटिया उत्पाद बेचकर मनमाना मुनाफा कमा रहे है। दूसरी तरफ किसान इनका उपयोग करके अपना माथा पीटने के लिये मजबूर हो गया। ऐसे हालातों के चलते इन संभावना से इंकार नही किया जा सकता की अन्य प्रदेशों की तरह बालाघाट जिले के किसान भी आत्महत्या करने के लिये मजबूर हो जायेगें।
इस बात की संकेत बालाघाट जिला मुख्यालय से 10 किलोमीटर दूर लिंगा गांव में देखने को मिला जहां लगभग 150 किसानों ने 350 एकड़ रकबे में आन्धप्रदेश की किर्तीमान कंपनी राधा सीड्स के बीज अपने खेत में बोये बीज अंकुरित हुए उनमें धान की बाली आई लेकिन बालियों में चावल का दाना विकसित ही नही हुआ। उन्होने इस बात की शिकायत कृषि उपसंचालक से की उनके निर्देश पर विभाग की टीम मौके का मुआयना करने लिंगा गांव पहुची और हालात का जायजा लिया। स्थिति को देखते हुये जांच के निर्देश दिये और कंपनी के वैज्ञानिकों को सूचित किया। जिस पर कंपनी के वैज्ञानिक लिंगा गांव पहुंचे और उन्होने फसल का जायजा लिया। कंपनी के प्रोडक्शन वैज्ञानिक श्रीकांत रेड्डी ने किसानों को समझाते हुये बताया की जिले में पहली बार राधा के बीजों की बुआई की गई है चुकि आंन्ध्र प्रदेश का तापमान अधिक होने के कारण जहां 125 दिन की अवधि में धान की बालियां बन जाती है लेकिन बालाघाट जिले का तापमान कम होने के कारण यहां बोई गई धान की बालियों में दाना भरने में अधिक दिन लग रहे है उन्होन किसानों को आश्वस्त किया की धान में दाना बनने की प्रक्रिया शुरू हो गई है 10 दिन के अंदर बालियों में दाना भरना शुरू होगा।
उन्होने यह भी बताया की 10 दिन बाद कंपनी के वैज्ञानिक फिर से फसल का मुआयना करने आयेंगे इसके बावजूद यदि फसल में उत्पादन नही हुआ तो कंपनी अगली कार्यवाही पर विचार करेगी। इन हालातों पर नजर डाले तो प्रतीत होता है कि मध्यप्रदेश में ये कंपनियां अपने धान बीजों का परीक्षण कर रही है।
प्रश्न उठाता है की प्रमाणिक बीज के नाम पर प्रदेश में कैसे अमानक बीज बेचे जा रहे है। बिना परीक्षण किये बिना इन्हें प्रदेश में बिक्री की अनुमति किस आधार पर की जा रही है। आन्ध्र प्रदेश की भौगोलिक स्थिति एवं वातावरण तथा मध्यप्रदेश भौगोलिक स्थिति और वातावरण तापमान में भारी भिन्नता है। जिसके कारण आन्ध्र प्रदेश में जिन बीजों की बुआई कर उत्पादन का आकलन किया जाता है जरूरी नही है कि प्रदेश में उसका परिणाम वैसा आयेगा जैसा आन्ध्रप्रदेश में आ रहा है।
इस तरह परीक्षण किये जाने किये जाने की आड़ में धान बीज बेचकर किसानों को ठगे जाने का सिलसिला आखिर कब तक चलता रहेगा। ये विसंगतियां उस बालाघाट जिले में हो रही है जहां से प्रदेश के कृषि मंत्री गौरीशंकर बिसेन सरकार में जिले से अपनी नुमाईदंगी करते है।