भोपाल। माइनिंग का कारोबार शुरू करने के नाम पर एक किसान से करीब 1 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी के आरोपी अतुल आनंद के खिलाफ कार्रवाई करने से मामले की जांच कर रही एसटीएफ भी हिचक रही है। बताया जा रहा है कि मध्यप्रदेश के 2 पॉवरफुल आईएएस अफसरों से अतुल आनंद के काफी नजदीकी रिश्ते हैं। यही कारण है कि मामला ठंडे बस्ते में पड़ा हुआ है। एसटीएफ ने मुंबई के एक चार्टर्ड अकाउंटेंट एवं 1 करोबारी समेत अतुल के खिलाफ मामला दर्ज कर रखा है। दो दिन पहले ही राजधानी की अदालत ने आरोपियों की अग्रिम जमानत की अर्जी खारिज कर दी है।
इन लोगों के खिलाफ दर्ज हुआ है मामला
पेश से कृषक संजय चौहान मूलत: बाड़ी, रायसेन के रहने वाले हैं। उन्होंने चार महीने पहले जून में पुलिस महानिदेशक से जालसाजी की शिकायत की थी। जांच के बाद एसटीएफ ने बृज कमल बंगलो, गुलमोहर क्रास रोड नंबर-7 जेवीपीडी स्कीम विले पार्ले (वेस्ट) मुंबई निवासी बिजनेसमैन सुनील जैन, आकांक्षा एनक्लेव, त्रिलंगा काॅलोनी भोपाल निवासी बिजनेसमैन अतुल आनंद उर्फ सनी आनंद और डी-1 गीता प्रकाश 4 बंगलो जेपी रोड अंधेरी वेस्ट, मुंबई निवासी चार्टर्ड एकाउंटेंट राजेश कपूर के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया है।
इसलिए रद्द हुई जमानत याचिका
सुनील जैन के निर्देशन में अतुल आनंद और राजेश कपूर ने जेएस विशर एपेरल्स प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में मनमर्जी से काम किया। चार महीने बाद भी एसटीएफ ने आरोपियों को गिरफ्तार नहीं किया। आरोपियों की तरफ से राजधानी की कोर्ट में अग्रिम जमानत की अर्जी प्रस्तुत की गई थी। एसटीएफ के विशेष लोक अभियोजक सुनील श्रीवास्तव ने अग्रिम जमानत अर्जी पर आपत्ति करते हुए तर्क दिया कि कोई भी मूल दस्तावेज एसटीएफ को प्राप्त नहीं हुए हैं। जिससे विवेचना प्रारंभ की जा सके। आरोपी गिरफ्तारी से बच रहे हैं। इसलिए उनका अग्रिम जमानत का आवेदन निरस्त किया जाए।
क्या है आरोप
शिकायत में किसान संजय चौहान ने कहा है कि आकांक्षा एनक्लेव, ई-8 अरेरा काॅलोनी निवासी अतुल आनंद पहले से उनके परिचित हैं। अतुल ने ही मुंबई निवासी सुनील जैन से परिचय कराया था। सुनील ने मप्र में माइनिंग का व्यवसाय साथ करने का प्रस्ताव रखा था। चूंकि संजय पहले से ही आनंद से परिचित थे तो उन्होंने प्रस्ताव स्वीकार कर लिया था।
अतुल और सुनील ने संजय को बताया कि जेएस विशर एपेरल्स प्राइवेट लिमिटेड नाम से कंपनी बनाई है। जिसमें संजय चौहान को डायरेक्टर बनाया है। कंपनी में 45-45 प्रतिशत शेयर संजय चौहान और सुनील जैन और 10 प्रतिशत शेयर अतुल आनंद के होंगे। 2011 में ही कंपनी के कागजात तैयार किए गए थे।
बताया गया था कि कंपनी ने सिहोरा, जबलपुर में पर्यवेक्षण का काम शुरू कर दिया है। जबलपुर में माइनिंग के लिए जमीन भी खरीद ली गई है। अतुल और सुनील द्वारा कंपनी के कामकाज में रुपए की आवश्यकता बताने पर संजय ने 15 लाख रुपए का चेक और 20 लाख रुपए नगद अलग-अलग तारीखों में दिए। आरोपी अब तक संजय सेे लगभग एक करोड़ रुपए ठगे हैं। अतुल ने संजय को बताया था कि छतरपुर के घुरापुरवा में भी माइनिंग का काम शुरू कर दिया है। अतुल खदान दिखाने संजय को घुरापुरवा भी ले गया था। जहां खदान में मशीनें चल रही थीं। बाद में पता चला था कि उक्त जमीन किसी दूसरे की थी। वहां काम भी बंद हो चुका है। तब संजय को उनके साथ हुई धोखाधड़ी का पता चला। आरोपियों द्वारा मुंबई में मीटिंग करना दिखाया गया, जिसमें संजय को उपस्थित दिखाते हुए उनके फर्जी हस्ताक्षर भी किए गए।
हाईप्रोफाइल हैं आरोपी
एसटीएफ ने तीनों आरोपियों की मोबाइल कॉल डिटेल खंगाली है। जांच में सामने आया है कि अतुल आनंद उर्फ सनी की प्रदेश के दो सीनियर आईएएस अफसरों से काफी नजदीकियां हैं। यह दोनों अफसर सरकार के नजदीकी हैं। आनंद द्वारा उनको सहयोग किया जाता है। वहीं फरियादी की भी राजनीतिक पकड़ है। यही कारण हैं कि एसटीएफ इस मामले को उजागर नहीं करना चाह रही है।