नई दिल्ली। एसएचओ की कुर्सी पर राधे मां को बैठाकर खुद परम भक्त की मुद्रा में खड़े एसएचओ संजय शर्मा की करनी से पूरा पुलिस डिपार्टमेंट शर्मिंदा है। संजय कल तक वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की आंखों के तारे थे लेकिन, आज किरकिरी बन चुके हैं। पुलिस अधिकारी उनके खिलाफ कड़े ऐक्शन में नजर आ रहे हैं। वह साक्ष्यों से छेड़छाड़ न कर सकें, इसलिए सुबह ही थाने का डीवीआर जब्त कर लिया गया, जिसमें राधे मां की थाने में आवाजाही साफ नजर आ रही है।
सूत्रों का कहना है कि यह मामला प्रकाश में आने के बाद वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने संजय को तलब किया। उन्हें जमकर फटकार लगी। यहां तक कहा गया कि उन्हें दूसरी बार एसएचओ बनने का गोल्डन चांस मिला लेकिन, उन्होंने अपने आचरण से न सिर्फ अपना करियर खराब किया, बल्कि पूरे पुलिस डिपार्टमेंट को शर्मिंदा कर दिया। उनकी वजह से पुलिस अफसरों को मीडिया का सामना करना मुश्किल हो गया। महकमे के अन्य अधिकारी भी उनके आचरण की एक सुर में निंदा कर रहे हैं। कोई उनके समर्थन में नहीं है।
थाने की डीवीआर जब्त किए जाने के सवाल पर डीसीपी (शाहदरा) नुपुर प्रसाद ने कहा कि आरोपियों के खिलाफ आचार संहिता के उल्लंघन के पर्याप्त साक्ष्य मिले हैं, जिसके आधार पर शुरुआती कार्रवाई की गई है। डीसीपी ने कहा है कि पुलिस डिपार्टमेंट में किसी पुलिस कर्मी का ऐसा आचरण बिलकुल बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। इसलिए संजय समेत छह पुलिस कर्मियों के खिलाफ तत्काल प्रभाव से कार्रवाई की गई है। मामले की विस्तृत जांच की जा रही है।
संजय शर्मा दिल्ली पुलिस के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के कितने चहेते रहे हैं, इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि उनसे उपराज्यपाल कार्यालय के दबाव में हौजखास एसएचओ की कुर्सी छीनी गई थी, जिसके बाद साउथ दिल्ली से शाहदरा जिले में ट्रांसफर कर दिया गया। यहां उन्हें फिर एसएचओ लगने का मौका मिला लेकिन, इस बार अपनी 'कुर्सी' खुद अपने हाथों से राधे मां जैसी विवादित महिला को सौंप दी। उपराज्यपाल कार्यालय से रिश्वतखोरी के एक मामले में कुछ वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों पर गाज गिरी थी, उसी मामले में संजय को भी एसएचओ की कुर्सी से हटाया गया। हाल ही में संतों की एक संस्था ने राधे मां को फर्जी संत घोषित किया है। राधे मां पर तमाम तरह के आरोप भी लगते रहे हैं।